बारह की जगह पांच घंटे भी पानी नहीं दे रहे निगम के पंप

मुजफ्फरपुर: रमजान से ठीक पहले शहर की बिजली व्यवस्था चरमरा गयी है. इससे शहरवासी को उमस भरी इस गरमी में राहत मिलने की बात तो दूर, पानी की किल्लत होने से काफी कठिनाइयों से गुजरना पड़ रहा है. नगर निगम को प्रत्येक दिन सुबह, शाम व दोपहर में कुल 12 घंटे पानी की आपूर्ति करना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 19, 2015 8:28 AM
मुजफ्फरपुर: रमजान से ठीक पहले शहर की बिजली व्यवस्था चरमरा गयी है. इससे शहरवासी को उमस भरी इस गरमी में राहत मिलने की बात तो दूर, पानी की किल्लत होने से काफी कठिनाइयों से गुजरना पड़ रहा है. नगर निगम को प्रत्येक दिन सुबह, शाम व दोपहर में कुल 12 घंटे पानी की आपूर्ति करना है. रमजान को लेकर एक माह तक अहले सुबह तीन से चार बजे तक अतिरिक्त पानी आपूर्ति की जवाबदेही है. इसकी जिम्मेदारी नगर आयुक्त ने जल कार्य शाखा को दिया है. लेकिन हकीकत है कि निगम का पंप रोज पांच घंटे भी नहीं चल रहा है. इससे शहर के अधिकांश इलाके में रमजान से पहले ही पानी के लिए हाहाकार मच गया है. इसका कारण बिजली की लचर व्यवस्था है. बिजली आपूर्ति करने वाले कंपनी एस्सेल व उसके अधिकारियों को लोगों की परेशानी से कोई माने-मतलब नहीं है.
लो-वोल्टेज से पानी नहीं खींच रहा पंप. समय से बिजली की आपूर्ति नहीं होने एवं लो-वोल्टेज की समस्या होने के कारण नगर निगम का जलापूर्ति पंप भी हांफ गया है. सबसे ज्यादा परेशानी तो उन मुसलिम बहुल इलाके की है, जहां 80 फीसदी आबादी नगर निगम के पानी पर आश्रित है. इनमें चंदवारा, सतपुरा, लकड़ीढ़ाही, माड़ीपुर, नीम चौक, करबला, मझौलिया रोड, ब्रह्नापुरा आदि शामिल हैं. इन इलाकों में रहने वाले लोग शुक्रवार से घोषित रमजान से पहले बोतलबंद मिनरल वाटर की खरीदारी कर अपने-अपने घर में स्टॉक कर रहे हैं.
पंप चालू पर नहीं मिल रही बिजली
लंबे इंतजार के बाद पीएचइडी की ओर से निर्मित अखाड़ाघाट पंप को नगर निगम ने पिछले सप्ताह चालू किया. इससे बालूघाट, अखाड़ाघाट रोड समेत आसपास की करीब दस हजार की आबादी को पानी की समस्या से निजात मिलती. लेकिन, बिजली की व्यवस्था के कारण चालू होने के बाद भी पंप से पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है. इस कारण नगर निगम के अधिकारी पेशोपेश में हैं. निगम ने एस्सेल को कई बार पत्र लिख व मौखिक तौर पर सुबह, शाम व दोपहर में नियमित रू प से बिजली मुहैया कराने को कहा है, लेकिन एस्सेल के अधिकारी ऐसा नहीं कर रहे हैं.

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