मीटर रीडिंग पर एस्सेल का सहज से करार टूटा

मुजफ्फरपुर : एस्सेल का सहज वसुधा केंद्र के साथ करार टूट गया है. अब सहज वसुधा केंद्र बिजली उपभोक्ताओं का मीटर रीडिंग नहीं करेगा. एस्सेल व सहज के इस तकरार में 2.35 लाख शहरी व ग्रामीण उपभोक्ताओं मारे जा रहे हैं. करार के बाद आज तक सही बिजली बिल उपभोक्ताओं को नहीं मिला था. शहरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 13, 2015 7:24 AM
मुजफ्फरपुर : एस्सेल का सहज वसुधा केंद्र के साथ करार टूट गया है. अब सहज वसुधा केंद्र बिजली उपभोक्ताओं का मीटर रीडिंग नहीं करेगा. एस्सेल व सहज के इस तकरार में 2.35 लाख शहरी व ग्रामीण उपभोक्ताओं मारे जा रहे हैं. करार के बाद आज तक सही बिजली बिल उपभोक्ताओं को नहीं मिला था. शहरी उपभोक्ता औसत बिजली बिल से तबाह थे तो ग्रामीण उपभोक्ता न्यूनतम बिजली बिल से.
एस्सेल का कहना है कि सहज के काम से कंपनी संतुष्ट नहीं थी. उपभोक्ताओं की परेशानी कम होने के बजाय बढ़ रही थी. ऐसे में करार का कोई औचित्य ही नहीं था. एस्सेल ने सहज की जगह ब्लॉक वाइज मीटर रीडिंग के लिए वेंडरों को काम सौंप दिया है.
एस्सेल के पीआरओ राजेश कुमार ने बताया कि सहज के साथ कई दौर की वार्ता हुई. लेकिन काम में सुधार नहीं होने के कारण करार तोड़ लिया गया है. अब मीटर रीडिंग का काम पांच वेंडर करेंगे. उपभोक्ताओं को अब कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.
जानकारी के अनुसार, एस्सेल व सहज के बीच जनवरी में करार हुआ था. उसे मीटर रीडिंग का काम सौंपा गया था. एक मीटर रीडिंग पर 2.50 रुपये तय किये गये थे.
जिले में 388 केंद्र संचालकों को काम करना था. इसके लिए सहज वसुधा केंद्र संचालकों को मीटर रीडर रखने की छूट दी गई थी. मीटर रीडिंग करने के लिए केंद्र संचालकों ने चार से लेकर आठ लड़कों की टीम रखी थी. एक मीटर रीडर अधिकतम 30 से 40 मीटर रीडिंग करता था. ऐसे में उपभोक्ताओं का मीटर रीडिंग पूरा नहीं हो रहा था. शहर के 1.10 हजार उपभोक्ता व ग्रामीण क्षेत्रों के 1.25 हजार उपभोक्ताओं को सही बिजली बिल नहीं मिल रही थी.
कंपनी आरोप ङोलते ङोलते परेशान थे. अप्रैल, मई व जून तक सहज ने मीटर रीडिंग का काम किया. लेकिन, मुख्यालय ने मीटर रीडरों का केवल अप्रैल का पैसा दिया है.अब भी दो माह का पैसा मीटर रीडरों का बकाया है. अब सहज केवल उपभोक्ताओं का बिल जमा करने का काम करता है. उपभोक्ता जितना पैसा सहज वसुधा केंद्र में जमा करते हैं उसका दो प्रतिशत केंद्र संचालकों को मिलता है. वह भी तीन माह बाद. ऐसे में सहज वसुधा केंद्र संचालक भी अपने मुख्यालय से नाराज हैं.
एस्सेल का दावा है कि सहज ने करार के दौरान तय शर्त व नियमों को पूरा नहीं किया था. न तो उसके पास मैन पावर थी. न ही सेवा प्रदान करने लायक अपने आपको बना रहा था. साथ ही सभी उपभोक्ताओं तक पहुंच कर मीटर रीडिंग का काम करने के लिए छह माह का वक्त मांग रहा था. एस्सेल ने उतना अधिक समय देने से हाथ खड़ा कर दिया. इसके बाद दोनों में करार पर तकरार हो गया.

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