दुष्कर्म व हत्या मामले में आजीवन कारावास
मुजफ्फरपुर: दुष्कर्म व हत्या के मामले में कथैया थाना क्षेत्र के कुड़िया निवासी रंजीत ठाकुर को आजीवन कारावास व बीस हजार अर्थदंड की सजा हुई है. एडीजे सात पद्मा कुमारी चौबे ने फैसला सुनाया. आरोपित को मौत तक जेल में रहना होगा. कथैया थाना क्षेत्र के कुड़िया गांव में 2013 में युवती के साथ दुष्कर्म […]
मुजफ्फरपुर: दुष्कर्म व हत्या के मामले में कथैया थाना क्षेत्र के कुड़िया निवासी रंजीत ठाकुर को आजीवन कारावास व बीस हजार अर्थदंड की सजा हुई है. एडीजे सात पद्मा कुमारी चौबे ने फैसला सुनाया. आरोपित को मौत तक जेल में रहना होगा.
कथैया थाना क्षेत्र के कुड़िया गांव में 2013 में युवती के साथ दुष्कर्म किया गया था. इसके बाद मुंह में कपड़ा भकर कर बेरहमी से ब्लेड से गाट काट उसकी हत्या कर दी गयी थी. उसकी मां के बयान पर कथैया थाना कांड संख्या 14/2013 दर्ज किया गया था. पुलिस को दिये बयान में उन्होंने बताया था कि छह मार्च 2013 की रात हम लोग खाना खाकर घर में सो गये. मेरी बेटी बगल के कमरे में सोई हुई थी. मेरा बेटा भी कमरे में सोया था.
देर रात बिजली आने पर मैं शौच के लिए उठी तो बेटी का कमरा खुला देखा. कमरे में जाकर देखा, तो बेटी नहीं थी, लेकिन बेटा सोया हुआ था. इसके बाद मैं अपने बेटे के साथ बेटी को ढूढ़ने लगी. लोकलाज के कारण घटना के बारे में किसी को नहीं बताया.
इसी बीच गांव की एक महिला ने मेरे पुत्र को फोन कर बताया कि तुम्हारी बहन घर के पीछे सरसों के खेत में पड़ी है. जब हम लोग वहां पहुंचे तो देखा कि मेरी पुत्री सरसों के खेत में मरी पड़ी है और उसके मुंह में कपड़ा डाला गया है. बगल में ब्लेड गिरा था. मामला दर्ज होने के बाद कथैया पुलिस हरकत में आयी. इसके बाद मौके पर स्वान दस्ता व एफएसएल टीम पहुंची. घटना में प्रयुक्त सामान को जब्त कर जांच के लिए भेजा. युवती के मोबाइल के आधार पर पड़ोसी रंजीत ठाकुर को पुलिस ने गिरफ्तार किया. आरोपित के बयान पर मृतका का चप्पल बरामद किया गया.
इसके बाद रंजीत का पुलिस ने स्वीकारोक्ति बयान लिया. इसमें उसने अपना अपराध कबूला. पुलिस ने रंजीत को न्यायालय में 12 मार्च 2013 को पेश किया था. तब से वह जेल में है. रंजीत के विरुद्ध कथैया पुलिस ने 30 मई 2013 को न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित किया था. मामले में अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक कृष्ण देव साह ने 13 गवाह न्यायालय में प्रस्तुत किये थे. बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता बच्चा पाठक ने अपना पक्ष रखा था.