कुणाल
मुजफ्फरपुर : विवि के सेंट्रल लाइब्रेरी को अत्याधुनिक बनाने के लिए लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं. इसे ई-लाइब्रेरी के रूप में विकसित भी किया जा रहा है. निश्चित ही इसका फायदा यहां के छात्र-छात्राओं को होगा.
लेकिन रोचक बात यह है कि विवि के पीजी विभाग के शिक्षकों की इसका सदस्य बनने में कोई रुचि नहीं है. कम-से-कम पुस्तकालय की सदस्यता पंजी तो यही बताती है. फिलहाल विवि के 22 पीजी विभागों में 132 नियमित व करीब चार दर्जन प्रतिनियुक्ति पर कॉलेजों से आये शिक्षक कार्यरत हैं. इसमें से महज पांच ही सेंट्रल लाइब्रेरी के सदस्य हैं. जिन लोगों ने लाइब्रेरी की सदस्यता ग्रहण नहीं की है, उसमें करीब आधा दर्जन विवि अधिकारी भी हैं, जो किसी-न-किसी विभाग में शिक्षक हैं.
1.28 लाख किताबें हैं उपलब्ध
यह आंकड़ा व्यवस्था पर इसलिए भी सवाल उठाता है कि अधिकांश पीजी विभागों में शिक्षक यूजीसी के माइनर या मेजर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. इसके लिए संबंधित विषय की किताबों की जरू रत होगी. फिलहाल केंद्रीय पुस्तकालय में एक लाख अठाइस हजार छह सौ अठहत्तर किताबें हैं.
इन किताबों में कई दुर्लभ किताबें भी शामिल हैं, जो भारत व अन्य देशों के नामी-गिरामी प्रकाशकों की है. इनकी कीमतें भी काफी ऊंची है. सभी बाइस पीजी विभागों के पुस्तकालयों को मिला दिया जाये (करीब सवा लाख किताबें) तो भी किताबों का इतना बड़ा कलेक्शन उपलब्ध नहीं है.
बिना सदस्य बने उठा रहे लाभ!
बताया जा रहा है कि पीजी विभाग के कई शिक्षक बिना सदस्य बने ही केंद्रीय पुस्तकालय में रखी किताबों, शोध पत्रों आदि का लाभ उठाते हैं. इससे पुस्तकालय को आर्थिक नुकसान होता है.
गौरतलब है कि केंद्रीय पुस्तकालय की सदस्यता ग्रहण करने के लिए वार्षिक शुल्क दो सौ रुपये निर्धारित है. शिक्षकों की तरह छात्रों की रुचि भी लाइब्रेरी की सदस्यता ग्रहण करने में कुछ खास नहीं है. फिलहाल 22 पीजी विभाग में चारों सेमेस्टर मिला कर करीब आठ हजार से अधिक छात्र-छात्रएं हैं. लेकिन इसमें से करीब 150 छात्र ही सेंट्रल लाइब्रेरी के नियमित सदस्य हैं.
अब चलाया जा रहा सदस्यता अभियान
पिछले दिनों केंद्रीय पुस्तकालय के सहायक लाइब्रेरियन डॉ कौशल किशोर चौधरी ने इसकी जानकारी कुलपति डॉ पंडित पलांडे को दी. मामले को कुलपति ने गंभीरता से लिया व नैक की पियर टीम के विजिट से पूर्व सभी पीजी विभागों में विशेष सदस्यता अभियान चलाने का फैसला लिया.
इसके लिए केंद्रीय पुस्तकालय के प्रतिनिधियों को बारी-बारी से सभी विभागों में भेजना तय हुआ है. डॉ चौधरी की मानें तो अभी तक वाणिज्य, इतिहास व परसियन विभाग में यह अभियान चलाया जा चुका है. इन विभागों के अधिकांश शिक्षकों ने पंजीयन फॉर्म भी भर दिया है. जल्द ही अन्य विभागों में भी प्रतिनिधि जायेंगे.