विनय
मुजफ्फरपुर : बीपीएल परिवारों के लिए स्मार्ट कार्ड के जरिये इलाज का मामला संकट में है. जिला की मैनेजर व स्वास्थ्य विभाग के बीच खींचतान से गरीबों की इलाज की सुविधा तत्काल संभव नहीं दिख रही है. ऐसी स्थिति जिला की मैनेजर की ओर से बीपीएल संबद्धता के लिए भेजे गये नर्सिग होम की सूची को अमान्य करार दिये जाने से हुआ है.
जिला की मैनेजर ने सीएस को पत्र भेज कर कहा है कि स्मार्ट कार्ड से इलाज के लिए 47 नर्सिग होम की सूची भेजी गयी है. उसमें श्रम विभाग की ओर से निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं किया गया है.
नियम के अनुसार ऐसे नर्सिग होम में दो सजर्न होने चाहिए, लेकिन इसका उल्लेख नर्सिग होम के प्रारूप में नहीं किया गया है. इसके अलावा सभी नर्सिग होम की जांच स्वास्थ्य विभाग की एक ही टीम की ओर से करायी गयी है. इसके लिए कम से कम पांच टीम होनी चाहिए. जो अलग-अलग जाकर नर्सिग होम की जांच करें.
संसाधन उपलब्ध करायें तो होगी जांच.
स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि उनके पास डॉक्टर नहीं है. पीएचसी से प्रतिनियुक्त डॉक्टर से वे काम चला रहे हैं. प्रोग्राम अधिकारियों के पास काम अत्यधिक बोझ है. विभाग के पास गाड़ी भी नहीं है. ऐसी स्थिति में वे दुबारा जांच कराने में सक्षम नहीं है. सिविल सजर्न डॉ ज्ञान भूषण ने कहा है कि यदि संसाधन उपलब्ध कराया जाये, तो वे जांच करा सकते हैं. बिना संसाधन वे जांच कराने में सक्षम नहीं हैं.
नेशनल इंश्योरेंस कपंनी ने पूर्व में की थी जांच
स्वास्थ्य विभाग से चयनित नर्सिग होम की जांच पूर्व में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी के चिकित्सा दल की ओर से की जा चुकी थी.
इसके बाद श्रम विभाग में वर्णित कंडिका बी के तहत स्वास्थ्य विभाग ने नर्सिग होम की जांच की थी, जिसमें अहर्ता ए से लेकर जी तक को भरा गया था. हालांकि, डीकेएम ने इसे मानने से इनकार दिया है. अब विभाग से फिर से जांच कर संबद्धता के लिए नर्सिग होम की सूची जारी की जा रही है.