घटिया निकली रस चूसक कीड़ा मारने वाली दवा
मुजफ्फरपुर: रस चूस कर पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों के मारने वाली दवा ‘इमिडाक्लोप्रिड17.8 प्रतिशत एसएल’ के नाम पर बड़ा खेल हुआ है. दवा से पौधों का रस चूसने वाले कीड़े तो नहीं मरे, लेकिन दवा निर्माता कंपनियों ने किसानों को अच्छी तरह चूस लिया. करोड़ों का कारोबार किया. किसान आम, लीची, मक्का, सरसों, […]
मुजफ्फरपुर: रस चूस कर पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों के मारने वाली दवा ‘इमिडाक्लोप्रिड17.8 प्रतिशत एसएल’ के नाम पर बड़ा खेल हुआ है. दवा से पौधों का रस चूसने वाले कीड़े तो नहीं मरे, लेकिन दवा निर्माता कंपनियों ने किसानों को अच्छी तरह चूस लिया. करोड़ों का कारोबार किया.
किसान आम, लीची, मक्का, सरसों, तोरी, सब्जी समेत सभी फसलों पर इस दवा का प्रयोग करते रहे, चूसक कीड़ा पौधों को चूसते रहे. अमानक यानी घटिया दवा का कारोबार कर कंपनी ने किसानों को धोखा दिया. दवा को वायर क्रॉप सांइसेंस लिमिटेड, पटना ने तैयार किया था. मामले का खुलासा स्टेट पेस्टिसाइड टेस्टिंग लैबोरेटी (एसपीटीएल), की जांच रिपोर्ट से हुआ है. कृषि महकमा के के लोगों का कहना है, जैसे ही लैब की विश्लेषण रिपोर्ट जारी हुई. कंपनियों के गोदाम, कीटनाशी दवाओं के थोक विक्रेताओं व खुदरा विक्रेताओं के काउंटर से दवा का हटा बिहार से बाहर भेज दिया. जिला कृषि पदाधिकारी बांका ने 11 जून को वायर क्रॉप साइंस लिमिटेड,पटना के इस प्रोडक्ट का सैंपल लिया था.
दवा का बैच नंबर 5011, निर्माण तिथि 6 अप्रैल 2015, अवसान तिथि 5 अप्रैल 2017 थी. अधिकारी ने इस दवा का नमूना एकत्र कर एसपीटीएल, पटना जांच के लिए भेजा था. विश्लेषण रिपोर्ट में इस दवा को अमानक करार दिया गया है. सूबे के संयुक्त निदेशक पौधा संरक्षण प्रभात कुमार ने इस बैच नंबर की सभी दवा पर प्रतिबंध लगा दिया है. कंपनी से जुड़े स्टॉकिस्ट व खुदरा दुकानदारों की सांस फूलने लगी है. संयुक्त निदेशक ने निर्माण करने वाली कंपनी से पूछा है कि कितनी मात्र में कीटनाशी का निर्माण हुआ व थोक व खुदरा दुकानों में आपूर्ति की गयी. बिहार के किन-किन कीटनाशी विक्रेताओं को कितनी मात्र में उपलब्ध कराया गया था. कितनी दवा बिकी. कितनी दवा बची है.