भगवान महावीर के जन्मस्थल पर एक भी जैन परिवार नहीं

विनय मुजफ्फरपुर : जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की जन्मस्थली वैशाली में अब एक भी जैन परिवार नहीं है. ढाई हजार वर्ष पूर्व (ईसा से 599 वर्ष पहले) भगवान महावीर ने इस स्थल को जैन धर्म से समृद्ध किया था. आज स्थिति यह है कि यहां जैन धर्म मानने वाले परिवार नहीं हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 3, 2015 8:20 AM
विनय
मुजफ्फरपुर : जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की जन्मस्थली वैशाली में अब एक भी जैन परिवार नहीं है. ढाई हजार वर्ष पूर्व (ईसा से 599 वर्ष पहले) भगवान महावीर ने इस स्थल को जैन धर्म से समृद्ध किया था. आज स्थिति यह है कि यहां जैन धर्म मानने वाले परिवार नहीं हैं.
इतना ही नहीं, पूरे उत्तर बिहार में जैनियों के महज 15 घर हैं. इस धर्म के मानने वाले लोगों की संख्या उत्तर बिहार में 60 से 70 के बीच रह गयी है. इनमें सबसे अधिक संख्या शहर में है.
यहां जैनियों के 10 परिवार बचे हैं. हैरत की बात यह है कि जिस स्थल पर जैन धर्म के सिद्धांत को पुख्ता किया गया, वहां इस धर्म को मानने वाले लोग नहीं बचे. भगवान महावीर की जन्म स्थली (वैशाली के बसाढ़ गांव) आने वाले श्रद्धालु भी अधिकतर दूसरे धर्म के मानने वाले होते हैं. इसमें जैनियों की संख्या नगण्य रहती है.
जैन संत भी नहीं आते उत्तर बिहार
उत्तर बिहार में जैन धर्म के लोगों की संख्या कम होने के कारण यहां इस संप्रदाय के संत भी नहीं आते. जैन धर्म मानने वालों का कहना है कि यहां इस धर्म को मानने वाले लोग काफी कम हैं.
ऐसी स्थिति में संतों की सेवा नहीं हो पाती. धर्म के अनुसार भोजन व रहन-सहन की व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां कभी-कभी ही दिल्ली व गुजरात से संत आते हैं. धर्म को अंगीकार करने वाले लोगों का मानना है कि जैन साधु नग्न रहते हैं. यहां की सामाजिक व्यवस्था में लोग उन्हें स्वीकार नहीं कर पाते. धार्मिक परिवेश नहीं मिलने के कारण जैनियों की संख्या यहां से कम होती गयी.
ब्रिटेन से भी कम हैं बिहार में जैन
बिहार के उत्तरी क्षेत्र जैनियों के लिए श्रद्धास्थल है. भगवान महावीर की जन्मस्थली होने के कारण यहां जैन धर्म का प्रसार खूब हुआ था. दुनिया भर के लोग पवित्र स्थल को नमन करने आते हैं, लेकिन विडंबना है कि बिहार में जैनियों की संख्या ब्रिटेन से भी कम है. 2006 की गणना के अनुसार ब्रिटेन में 25 हजार जैनी थे, लेकिन बिहार में इनकी संख्या 15 हजार भी नहीं है. हिंदुस्तान में सबसे अधिक कम जैन धर्म मानने वाले हैं. 2001 की जनगणना के अनुसार इनकी आबादी 0.4 फीसदी है, जबकि बौद्ध धर्म मानने वालों की संख्या 0.8 फीसदी है.
भगवान महावीर के जन्मस्थल वैशाली व निर्वाण स्थल पावापुरी, दोनों जगह जैनियों की संख्या नगण्य है. एक समय रहा होगा जब इन क्षेत्रों में जैन धर्म मानने वाले बहुत सारे लोग रहे होंगे.
इतिहास बताता कि शंकराचार्य ने जैनियों को हिंदू धर्म में अंगीकार किया. जैन धर्म मानने वालों को हिंदू धर्म स्वीकार कराया गया या खुद उन्होंने अपनी मरजी से ग्रहण किया. यह सब 788 ई. की बात है. उसके बाद कितने जैन धर्म के लोग वैशाली सहित पूरे बिहार में बचे या फिर बिहार से पलायन कर गये, इसका पुख्ता सबूत इतिहास में नहीं मिलता.
डॉ अशोक अंशुमन
प्रोफेसर, इतिहास विभाग, एलएस कॉलेज

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