राजनीति में शिलापट्ट से हटा नाम
मुजफ्फरपुर: नगर निगम की योजनाओं के ऐतिहासिक शिलान्यास में वार्ड 33 के 12 शिलापट्ट से डिप्टी मेयर सैयद माजिद हुसैन का नाम हटा नगर निगम विवादों में घिर गया है. मामला धीरे-धीरे तूल पकड़ता जा रहा है. मेयर व योजनाओं के शिलान्यास में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी भी सवालों के घेरे […]
मुजफ्फरपुर: नगर निगम की योजनाओं के ऐतिहासिक शिलान्यास में वार्ड 33 के 12 शिलापट्ट से डिप्टी मेयर सैयद माजिद हुसैन का नाम हटा नगर निगम विवादों में घिर गया है.
मामला धीरे-धीरे तूल पकड़ता जा रहा है. मेयर व योजनाओं के शिलान्यास में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी भी सवालों के घेरे में आ गये हैं. उनके ऊपर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं.
डिप्टी मेयर खेमा के कुछ पार्षदों ने इसका विरोध करते हुए इसे पूर्व विधायक की एक नयी राजनीति चाल बताया है. वार्ड तीन के पार्षद मो अंजार ने कहा कि एक साथ इतनी योजनाओं का शिलान्यास हुआ. यह वाकई में निगम के लिए ऐतिहासिक कदम है, लेकिन कुछ लोगों की अपनी राजनीति कैसे बरकरार रहे, इसको लेकर गंदी राजनीति के कारण लोगों के बीच गलत संदेश चला गया है. एक विशेष वार्ड की योजनाओं के शिलापट्ट से डिप्टी मेयर का नाम हटाना, डिप्टी मेयर के गरिमा वाले पद को अपमानित करने की बड़ी साजिश है.
इंजीनियर की फंस सकती है गरदन
मेयर, डिप्टी मेयर व पूर्व विधायक के राजनीति व विवाद में गरदन निगम के इंजीनियर की फंसेगी. इस मामले में शिलापट्ट बनाने के लिए निगम से एडवांस राशि लिये कनीय अभियंता रितेश कुमार पर नगर आयुक्त कार्रवाई कर सकते हैं. क्योंकि, रितेश को ही टेंडर व एग्रीमेंट हो चुकी योजनाओं का शिलापट्ट बनाने की जवाबदेही नगर आयुक्त ने सौंपी थी. नगर आयुक्त ने 132 योजनाओं के शिलान्यास की अनुमति दी थी, जबकि मेयर ने 160 योजनाओं का शिलान्यास किया है. 28 योजनाओं का कैसे शिलान्यास किया गया, इस मुद्दे पर भी नगर आयुक्त विकास शाखा के कर्मियों से जवाब मांग सकते हैं. हालांकि, हाल ही में कार्यभार संभाले नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन को यहां का माजरा समझ में आ गया है. शनिवार को पटना से लौटने के बाद नगर आयुक्त इस मामले की जांच-पड़ताल करने के बाद पीत पत्र का जवाब डिप्टी मेयर को सौंपेंगे.
नगर आयुक्त के जवाब के बाद कार्रवाई करेंगे डिप्टी मेयर
डिप्टी मेयर सैयद माजिद हुसैन का तेवर दूसरे दिन भी तल्ख दिखा. उन्होंने कहा कि नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन को जो पीत पत्र दिया है, उसमें उन्हें जवाब देने के लिए दो दिनों का समय दिया गया है. नगर आयुक्त का जवाब मिलते ही अगली कार्रवाई करेंगे. हालांकि, मेयर वर्षा सिंह व वार्ड 33 के पार्षद मो अब्दुल्लाह के बयानों का जवाब देते हुए कहा कि शिलापट्ट के साथ-साथ पार्षद ने अपने पास से सड़क का भी निर्माण कराया. जब निगम ने शिलापट्ट बनाने के लिए ढाई लाख रुपये इंजीनियर को एडवांस दिये, शिलान्यास कार्यक्रम निगम का था तो फिर उसमें 12 शिलापट्ट कैसे कोई पार्षद अपने पास से बनवा सकता है. इसका क्या नियम है. अगर नियम है, तो मेयर व नगर आयुक्त ने किस पत्र से और कब इसका निर्देश दिया. इसका जवाब दिये गये पत्र के दिनांक व पत्रांक के साथ मुझे उपलब्ध करायें.
यह कोई मुद्दा नहीं है. मैं तो शहर के विकास के लिए सक्रिय हूं. शिलापट्ट पर मेरा तो कहीं नाम नहीं है. फिर भी मैं सक्रिय रहता हूं. पार्षद ने अपने फंड से 12 शिलापट्ट बनवाया. उसने नाम नहीं दिया है. इस मुद्दे को डिप्टी मेयर को बैठ कर सुलझा लेना चाहिए. इश्यू बनाना बेकार की बातें हैं.
विजेंद्र चौधरी
पूर्व विधायक