सड़कों पर पानी, कीचड़ व सन्नाटा कई इलाकों में अब भी अंधेरा
मुजफ्फरपुर: तूफान को शहर से गुजरे आठरह घंटे से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन स्थिति अभी तक सामान्य नहीं है. सड़कों पर पानी, कीचड़ व सन्नाटा है. आसमान में काले बादलों से लोगों को लगता है, अभी भी बारिश हो सकती है. रात के लगभग नौ बजे हैं, हम खड़े हैं शहर से सबसे व्यवस्ततम […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
October 16, 2013 9:32 AM
मुजफ्फरपुर: तूफान को शहर से गुजरे आठरह घंटे से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन स्थिति अभी तक सामान्य नहीं है. सड़कों पर पानी, कीचड़ व सन्नाटा है. आसमान में काले बादलों से लोगों को लगता है, अभी भी बारिश हो सकती है. रात के लगभग नौ बजे हैं, हम खड़े हैं शहर से सबसे व्यवस्ततम इलाका कहे जानेवाले कल्याणी चौक पर.
यहां और रातों में लोगों का जमावड़ा लगता है, लेकिन मंगलवार की रात इक्का-दुक्का लोग ही दिख रहे हैं. दुकानें जरूर खुली हैं, लेकिन खरीदार नहीं हैं. सड़क के गड्ढों में पानी भरा है. कल्याणी के पास की सब्जी मंडी में अन्य दिनों में रात ग्यारह बजे तक चहल-पहल दिखती थी, लेकिन आज नौ बजे ही केवल तीन दुकानें खुली हैं. बाकी बंद हो चुकी हैं. आसपास कोई खरीदार नहीं दिख रहा है. कल्याणी से आगे हरिसभा चौक पर भी सन्नाटा है. अष्टमी के दिन यहां से देवी मंदिर की ओर जाने पर रोक लगा दी गयी थी, लेकिन अब कोई बैरियर नहीं दिख रहा है. चारों-ओर सन्नाटा पसरा है.
देवी मंदिर के पास भी इक्का-दुक्का लोग ही दिख रहे हैं. मिठनपुरा पानी टंकी चौक पर भी कुछ ही लोग दिख रहे हैं. आसपास फलों की दुकानें देर रात तक खुली रहती थी, लेकिन आज सभी बंद हैं. जुब्बा सहनी पार्क रोड पर भी सन्नाटा है. पार्क होटल के पास भी चहल-पहल नहीं दिख रही थी. होटल कॉपलेक्स में केवल दो दुकानें खुली हैं. पास में एमडीडीएम कॉलेज हैं, जहां बारिश के बाद जमने वाला पानी है, लेकिन आसपास कोई नहीं. मन में सवाल उठता है, कब तक इस जगह पर जल जमाव होता रहेगा, जब भी बारिश होती है. फोटोग्राफर अच्छी फोटो बनाने की नीयत से यहां पहुंच जाते हैं. उन्हें निराश नहीं होना पड़ता है. मनचाहा फोटो मिल जाता है. बारिश में शहर का कैसा हाल होता है. यहां की तस्वीरें बयान करती हैं.
रात के समय सड़क पर भीड़ भले ही नहीं है, लेकिन मिठनपुरा इलाके में बिजली दिखती है, जिससे थोड़ी राहत महसूस होती हैं, क्योंकि पिछले 36 घंटों से शहर में बिजली नहीं थी, लोग हलकान थे. पानी के लिए चापाकलों पर लाइनें थीं. कितनी जगह जनरेटर के सहारे पानी का इंतजाम किया गया. हमें भी याद आया, मंगलवार को दिन में कोई हमारी घर की गली से गुजरा था, जिसने एक सौ रुपये में जनरेटर के जरिये टंकी में पानी भरने की बात कही थी. इसी सोच के बीच हम बेला इलाके में पहुंचते हैं. यहां अभी बिजली बहाल नहीं हुई है, चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा नजर आता है. साथ में बैठे समाजसेवी एचएल गुप्ता से बात होती है, कहते हैं, लगता है आज भी इंडस्ट्रियल इलाके में बिजली नहीं आयेगी. कुछ कंपनियों के लोगों से बात होती है. वह कहते हैं, इलाके में कई बिजली के पोल उखड़ चुके हैं. इस वजह से बिजली नहीं है.
बेला इलाके से वापस अमर सिनेमा रोड से आना होता है. इस रोड पर भी कमोबेश सन्नाटे जैसी स्थिति ही दिखती है. सरैयागंज टावर के आसपास जहां, रात दस बजे तक चहल-पहल रहती थी. वहां की भी रौनक गायब है. पूजा के समय ऐसा नजारा. पिछले सालों में नहीं दिखा था. रात के समय मूर्तियों का विसजर्न करने के लिए लोग गाजे-बाजे के साथ इस सड़क से गुजरते दिखायी देते थे. काफी रौनक रहती थी, लेकिन इस बार यह सब गायब है. कोई नहीं दिख रहा. शायद यह तूफान का खौफ ही है.