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बिना शिक्षक तकनीकी शिक्षा

मुजफ्फरपुर: एमआइटी कॉलेज जिले में तकनीकी शिक्षा का प्रमुख केंद्र है. पर इन दिनों यह शिक्षकों की कमी के संकट से जूझ रहा है. हाल यह है कि फिलहाल यहां पढ़ रहे करीब 1200 छात्रों को पढ़ाने के लिए यहां महज 26 स्थायी शिक्षक उपलब्ध हैं. यहीं नहीं शिक्षकों की कमी को दूर करने के […]

मुजफ्फरपुर: एमआइटी कॉलेज जिले में तकनीकी शिक्षा का प्रमुख केंद्र है. पर इन दिनों यह शिक्षकों की कमी के संकट से जूझ रहा है. हाल यह है कि फिलहाल यहां पढ़ रहे करीब 1200 छात्रों को पढ़ाने के लिए यहां महज 26 स्थायी शिक्षक उपलब्ध हैं. यहीं नहीं शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए पिछले वर्ष शिक्षकों को संविदा के आधार पर नियुक्त किया गया था. पर गत 16 मार्च को इनका टर्म पूरा होने के बाद इनका नवीनीकरण नहीं किया गया है. ऐसे में फिलहाल शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए फिलहाल गेस्ट शिक्षकों की मदद ली जा रही है.

एमआइटी कॉलेज में इंजीनियरिंग के सात कोर्स की पढ़ाई होती है. इसमें सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन, आइटी, लेदर टेक्नोलॉजी व बी फार्मेसी के कोर्स शामिल हैं. एआइसीटीइ (ऑल इंडिया कौंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन) के नियमों के तहत इन कोर्स में नामांकित प्रत्येक 15 छात्र पर एक शिक्षक होना अनिवार्य है. पर एक दो विंग को छोड़ कर अधिकांश विंग स्थायी शिक्षकों की किल्लत है.

243 छात्र पर एक शिक्षक
एमआइटी कॉलेज में सबसे बुरा हाल मैकेनिकल व इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का है. इन दोनों कोर्स में अलग-अलग फिलहाल चार सत्र मिला कर 243 छात्र नामांकित है. पर इस विभाग में स्थायी शिक्षकों की संख्या एक-एक है. कुछ ऐसा ही हाल इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन व आइटी विभाग का भी है. यहां चार सत्र में नामांकित 162 छात्रों पर एक स्थायी शिक्षक उपलब्ध हैं. सिविल डिपार्टमेंट की स्थिति थोड़ी बेहतर है. यहां नामांकित 243 छात्रों को पढ़ाने के लिए फिलहाल तीन स्थायी शिक्षक हैं.

शिक्षकों के संविदा का नहीं हुआ नवीनीकरण : पिछले साल शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए एमआइटी कॉलेज में संविदा पर 27 शिक्षकों को नियुक्त किया गया था. इनकी नियुक्ति 11 माह के लिए की गयी थी व इन्हें पंद्रह हजार रुपये प्रतिमाह दिये जाते थे. पर गत 16 मार्च को इनका टर्म पूरा हो गया. इसके बाद विभाग ने संविदा पर शिक्षकों की नियुक्ति या पुराने शिक्षकों के नवीनीकरण के लिए अब तक कोई पहल नहीं हुई है. फिलहाल शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए विभाग की सहमति से रिटायर प्रोफेसर या अभियंता को गेस्ट टीचर के रूप में आमंत्रित किया जाता है. इन्हें प्रति क्लास 400 रुपये दिये जाते हैं.

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