बोलचाल के साथ कामकाज की भाषा बने हिंदी

बोलचाल के साथ कामकाज की भाषा बने हिंदी राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में हिंदी विषय पर कार्यशाला फोटो वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति(नराकास) मुजफ्फरपुर के सहयोग से शनिवार को हिंदी काव्य-व्यंग प्रतियोगिता व पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया. मौके पर 17 संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2015 6:52 PM

बोलचाल के साथ कामकाज की भाषा बने हिंदी राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में हिंदी विषय पर कार्यशाला फोटो वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति(नराकास) मुजफ्फरपुर के सहयोग से शनिवार को हिंदी काव्य-व्यंग प्रतियोगिता व पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया. मौके पर 17 संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने काव्य पाठ में हिस्सा लिया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दूरदर्शन केंद्र के प्रभारी निदेशक नवीन कुमार ने कहा, हिंदी को बोलचाल के साथ-साथ कामकाज की भाषा बनाने की जरूरत है. हिंदी भाषा में ही सभी दफ्तरों में काम काज हो. मुख्य अतिथि ने हिंदी के व्यापक प्रचार-प्रसार एवं उपयोग पर बल दिया. अध्यक्षता राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ़ विशाल नाथ ने की. नराकास, मुजफ्फरपुर के सदस्य सचिव निरंजन वर्णवाल, गोपाल जी किशोर सहित केंद्र के सभी वैज्ञानिक व कर्मचारी उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन डॉ़ सुशील कुमार पूर्वे व धन्यवाद ज्ञापन डॉ शेषधर पांडेय ने किया. केंद्र पर आयोजित हिंदी माह-2015 के विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता सदस्यों को पुरस्कार दिया, जिसमें मुजफ्फरपुर दूरदर्शन केंद्र के राम निवास कुमार को प्रथम पुरस्कार, द्वितीय पुरस्कार राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ़ शेषधर पाण्डेय व सेंट्रल बैंक के सौरभ कुमार को तृतीय पुरस्कार मिला दिया गया. भारत बैगन के सरकार के अरविंद कुमार वरूण को भी पुरस्कृत किया गया. सांत्वना पुरस्कार भारतीय जीवन बीमा की डॉ़ संगीता कुमारी, जीवन बीमा निगम को दिया गया.

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