शहर में जन्मा पहला टेस्ट टय़ूब बेबी

मुजफ्फरपुर: उत्तर बिहार में पहली बार टेस्ट टय़ूब बेबी का जन्म हुआ. सुखद बात यह रही कि इस विधि से जुड़वा बच्चों ने जन्म लिया. बुधवार को ब्रुह्नापुरा स्थित आयुष्मान नर्सिग होम में करजा की वीणा श्रीवास्तव ने दोनों बच्चों को जन्म दिया, जिसमें एक लड़का व एक लड़की है. इस कार्य में डॉ प्राची […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2013 9:43 AM

मुजफ्फरपुर: उत्तर बिहार में पहली बार टेस्ट टय़ूब बेबी का जन्म हुआ. सुखद बात यह रही कि इस विधि से जुड़वा बच्चों ने जन्म लिया. बुधवार को ब्रुह्नापुरा स्थित आयुष्मान नर्सिग होम में करजा की वीणा श्रीवास्तव ने दोनों बच्चों को जन्म दिया, जिसमें एक लड़का व एक लड़की है.

इस कार्य में डॉ प्राची सिंह की मुख्य भूमिका रही. उनके निर्देशन में पहला टेस्ट टय़ूबी बेबी का प्रयोग सफल रहा. इस विधि से बच्चों के जन्म के लिए दो वर्ष पूर्व डॉ रंगीला सिन्हा के जूरन छपरा स्थित नर्सिगहोममें आशीर्वाद इन्फर्टिलिटी सेंटर खोला गया. आईवीएफ के लैब को सेट करने तथा इसे शुरू करने में दो वर्ष का समय लगा. आइवीएफ विधि की शुरुआत 3 फरवरी को की गयी थी,

जिससे इस महिला को गर्भ ठहरा. जिसके बाद ऑपरेशन कर बच्चे का जन्म हुआ. ऑपरेशन के समय डॉ रंगीला सिन्हा, डॉ प्राची सिंह,
डॉ जेएम सिंह, डॉ पल्लवी राय, डॉ बीएन शर्मा व डॉ पायल मौजूद थे. शादी के करीब 20 वर्ष बाद बच्चे के जन्म से सुनील श्रीवास्तव काफी खुश थे. उन्होंने इसके लिए भगवान का आभार प्रकट किया.
आठ महिलाओं में किया गया इस विधि का प्रयोग : विशेषज्ञ डॉ प्राची सिंह ने कहा कि इस विधि से आठ महिलाओं में इसका प्रयोग किया गया था. जिसमें पहली महिला ने दो बच्चों को जन्म दिया है. अभी सात महिलाएं और हैं, जो बच्चों को जन्म देंगी. उन्होंने कहा कि कोलकाता के विशेषज्ञों की राय से उन्होंने इस लेबोरेट्री तैयार की है. जिसका पहला प्रयोग सफल रहा.
इस तरह अपनायी जाती है
विधि : डॉ प्राची ने बताया कि वैसी महिला जिनकी नली बंद होती है या जिनके गर्भ में निषेचन नहीं होता. उनके लिये यह विधि बहुत कारगर है. ऐसी महिलाओं को इंजेक्शन देकर उनके ओवरी में अंडा बनाया जाता है. फिर सोनोग्राफी से यह देखा जाता है कि कितना अंडा बना है. फिर छोटे ऑपरेशन से अंडा को निकाला जाता है. अंडा को बाहर में उसके पति के सीमेन से निषेचित कराने के लिए 36 से 48 घंटे तक विशेष उपकरण में रखा जाता है. इससे बच्चे का छोटा सा अंश बन जाता है. फिर इसे महिला के अंडाशय में डाल दिया जाता है.

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