– एमआईटी डाक घर की जमीन पर कब्जा

– एमआईटी डाक घर की जमीन पर कब्जा – वरीय डाक अधीक्षक ने भेजा डाक महाध्यक्ष को पत्र – पत्र के जरियें मांगा कड़ी कार्रवाई का दिशा निर्देश संवाददाता, मुजफ्फरपुर. एमआईटी डाकघर की साढ़े 22 डिसमिल जमीन पर कुछ आसामिजक तत्व कब्जा कर रहे है. इस मामले की लिखित शिकायत वरिष्ठ अधीक्षक प्रवीण कुमार ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 6, 2015 12:14 AM

– एमआईटी डाक घर की जमीन पर कब्जा – वरीय डाक अधीक्षक ने भेजा डाक महाध्यक्ष को पत्र – पत्र के जरियें मांगा कड़ी कार्रवाई का दिशा निर्देश संवाददाता, मुजफ्फरपुर. एमआईटी डाकघर की साढ़े 22 डिसमिल जमीन पर कुछ आसामिजक तत्व कब्जा कर रहे है. इस मामले की लिखित शिकायत वरिष्ठ अधीक्षक प्रवीण कुमार ने डाक महाध्यक्ष मुजफ्फरपुर को भेजते हुए कार्रवाई की मांग की है. पत्र के जरिये बताया गया है कि विभाग की जमीन पर कुछ आसामजिक तत्वों के लोग कब्जा करते हुए आनन-फानन में घर बनवा रहे हैं. इस मामले को पहले भी बताया जा चुका हैं, लेकिन कोई भी दिशा निर्देश नहीं मिल सका है. ऐसे में उचित दिशा निर्देश देते हुए भारत सरकार की संपत्ति काे सुरक्षित रखने की सलाह दी जाएं. ये था मामला करीब 25 साल पहले जिस जमीन पर एमआईटी डाक घर था, वहां के ही एक कर्मी ने रिटायर होने से पूर्व उसे हड़प लिया. उस जमीन को अपने दो पुत्रों के नाम भी कर दी. डाक विभाग को तीन साल पहले तक यह जानकारी नहीं थी कि जहां अभी किराये पर एमआईटी डाकघर चल रहा है, उसके सामने वाली जमीन विभाग की है. जानकारी होने पर विभाग ने जांच शुरू की. जमीन के कागजात मंगवाए. एसपी सिटी को भेजा था पत्रइस मामले को लेकर 31 अगस्त को एसपी सिटी को पत्र भेजा जा चुका है. इसमें यह बताया वरीय डाक अधीक्षक प्रवीण कुमार ने 31 अगस्त को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की थी. पत्र में बताया गया था कि एमआईटी उप डाक घर की जमीन संख्या 402 खतियान में खाता नंबर 811 है. वार्ड नंबर तीन व मोहल्ला ब्रह्म्पुरा है. यह जमीन केंद्रीय लोक निर्माण विभाग से डाकघर को प्राप्त हुई थी. कुछ दिनों पहले आसामजिक तत्वों ने जमीन हथिया कर अवैध निर्माण करना चाह रहे हैं. पहले था डाकघरराजस्व अभिलेख के पुराने रिकार्ड के अनुसार यह जमीन केंद्रीय लोक निर्माण विभाग की है. पुराने लेटआउट प्लान में विभाग ने डाकघर के लिए जमीन आवंटित की थी. इसका खाता नंबर 2586, खेसरा नंबर 1566 था. जमीन पर डाकघर चलता था. नये राजस्व के बाद यह जमीन किसी और के नाम पर हैं.

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