पांच महीने से आंखों में कटती हैं हर रात

मुजफ्फरपुर. भूकंप की यादें पांच महीने बाद अधिकतर लोगों के जेहन में भले ही कैद होंगी, लेकिन शिवचंद्र का परिवार आज भी हर पल उन दहशत भरी यादों के साए में ही गुजारता है. भूकंप के झटकों में घर की दीवारें पूरी तरह दरक चुकी हैं, जिससे परिजनों की रातें आंखों में ही कट जाती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 14, 2015 8:37 AM

मुजफ्फरपुर. भूकंप की यादें पांच महीने बाद अधिकतर लोगों के जेहन में भले ही कैद होंगी, लेकिन शिवचंद्र का परिवार आज भी हर पल उन दहशत भरी यादों के साए में ही गुजारता है. भूकंप के झटकों में घर की दीवारें पूरी तरह दरक चुकी हैं, जिससे परिजनों की रातें आंखों में ही कट जाती है. खेती-बारी व मजदूरी से बड़ी मुश्किल से दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो पाता है, फिर छह कमरों वाले प क्के मकान की मरम्मत के लिए पैसे जुटाना आसान काम नहीं है. ठंड शुरू होते ही जब घर में सोने की लाचारी बनी तो बेचैनी फिर से बढ़ गई है.

जनप्रतिनिधि व सरकारी अधिकारी भी मदद से पल्ला झाड़ ले रहे हैं. मोतीपुर प्रखंड के थतिया गांव निवासी पूर्व वार्ड कमिश्नर शिवचंद्र साह ने करीब तीन दशक पहले पक्का मकान बनवाया था. वह घर पर रहकर खेती करते हैं. दो बेटों में बड़ा पवन मुजफ्फरपुर में ही प्राइवेट नौकरी करता है, जबकि छोटा बेटा शंभू सूरत में नौकरी करता है. दोनों बेटों की पत्नियां व दो-दो बच्चे घर पर रहते हैं. इस साल मई में पहली बार आए भूकंप के झटकों को मकान ने तो बर्दास्त कर लिया था, लेकिन दूसरे झटके में सबकुछ हिल गया. बरामदे सहित सभी कमरों की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरार बन गई हैं. कई जगह छत के ठीक नीचे का हिस्सा भी फट गया है.

शिवचंद्र बताते हैं घर के लोग डर के मारे कमरों में सोना नहीं चाहते. बताया कि भूकंप ने मकान को काफी नुकसान पहुंचाया है. मकान अब हल्का झटका भी बर्दास्त करने की स्थिति में नहीं है. इसकी मरम्मत में काफी खर्च आएगा.

Next Article

Exit mobile version