दाल का संकट हुआ तो बाजार में खप गया मसूर बीज

दाल का संकट हुआ तो बाजार में खप गया मसूर बीज खेती के वक्त बीज के लिए सूबे में मचा हाहाकार बीज का संकट, इस बार नहीं होगी मसूर की खेती सूबे में 1.25 लाख हेक्टेयर में होती है मसूर की खेती बीज कंपनियों ने सरकार को बीज देने से खड़ा किया हाथ अक्तूबर में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 14, 2015 8:03 PM

दाल का संकट हुआ तो बाजार में खप गया मसूर बीज खेती के वक्त बीज के लिए सूबे में मचा हाहाकार बीज का संकट, इस बार नहीं होगी मसूर की खेती सूबे में 1.25 लाख हेक्टेयर में होती है मसूर की खेती बीज कंपनियों ने सरकार को बीज देने से खड़ा किया हाथ अक्तूबर में ही बीज कंपनियों को दिया गया था डिमांड वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरसूबे में मसूर बीज का संकट हो गया है. बीज के लिए त्राहिमाम मचा हुआ. बीज कंपनियों ने कृषि निदेशालय को आपूर्ति करने से हाथ खड़ा दिया है. बीज कंपनियों ने साफ कह दिया है उनके स्टॉक में बीज ही नहीं है. मसूर बीज के संकट से सरकारी स्तर पर होने वाली खेती को बीच में रोक दी गई है. जानकारों का कहना है कि जब दाल का संकट हुआ तो बीज के लिए रखे मसूर भी बाजार में खप गया. प्राइवेट बीज उत्पादकों ने दाल की कीमत बढ़ने का जबर्दस्त फायदा उठाया. बीज के लिए जो मसूर सहेज कर रखा था दाल वाले मार्केट में ही बेच दिया. अब बीज की जरूरत है तो किसानों को बीज नहीं मिल रहा है. यानी बिहार के लोगों के लिए दोहरा संकट पड़ गया है. पहले दाल संकट अब बीज का संकट हो गया है. बीज संकट होने से सूबे में करीब 1.25 लाख हेक्टेयर में होने वाली मसूर की खेती पर संकट गहरा गया है. दाल की आसमान छू रही कीमतों के बीच सूबे में मसूर की खेती नहीं होती है तो लोगों को पूरे साल महंगा दाल खरीदना होगा. इस महंगाई के बीच लाेगों को एक और संकट झेलना होगा. मसूर बीज के लिए जिला कृषि पदाधिकारी लगातार अपने वरीय अधिकारियों के संपर्क में हैं. लेकिन कोई उम्मीद नहीं दिख रही है. स्थानीय जिला कृषि पदाधिकारी सुधीर कुमार ने बताया कि बीज के लिए बीआरबीएन, टीडीसी, एनएससी, हिंदुस्तान इंसेक्टीसाइड लिमिटेड को अक्तूबर में ही कहा गया था. लेकिन कंपनियों ने अभी बीज देने से हाथ खड़ा कर दिया है. दलहन की खेती पर काफी प्रभाव पड़ा है. संयुक्त कृषि निदेशक तिरहुत प्रमंडल सुनील कुमार पंकज ने बताया कि अपने प्रमंडल में मसूर की खेती 20 हजार हेक्टेयर में होती है. इनमें दो हजार हेक्टेयर की खेती प्रत्यक्षण के अंतर्गत सरकारी स्तर से होती है. बीज के लिए एनएससी और बीआरबीएन को अक्तूबर के प्रथम सप्ताह में ही पत्र लिखा गया था. लेकिन, अब सभी कंपनियों ने बीज देने से इनकार कर दिया है. यहां का कार्यक्रम काफी प्रभावित हो रहा है.

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