साइबर फ्रॉड के आरोपित पवन सिंह को मिली जमानत

मुजफ्फरपुर: एसबीआइ एडीबी गोबरसही शाखा में 12.50 करोड़ के साइबर फ्रॉड मामले में आरोपित पवन कुमार सिंह को अक्तूबर के अंत में जमानत मिल गई है. सूत्रों के मुताबिक यह पहला आरोपित है, जिसे जमानत मिली है. इसको लेकर फ्रॉड मामले में रांची के जेल में बंद सभी आरोपित अपने बेल की जुगत में लग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2013 10:19 AM

मुजफ्फरपुर: एसबीआइ एडीबी गोबरसही शाखा में 12.50 करोड़ के साइबर फ्रॉड मामले में आरोपित पवन कुमार सिंह को अक्तूबर के अंत में जमानत मिल गई है. सूत्रों के मुताबिक यह पहला आरोपित है, जिसे जमानत मिली है. इसको लेकर फ्रॉड मामले में रांची के जेल में बंद सभी आरोपित अपने बेल की जुगत में लग गये हैं. अब सभी आरोपियों को छठ की छुट्टी खत्म होने का इंतजार है.

पवन ने लिया था वरुण का एकाउंट नंबर
सीबीआइ की ओर से कोर्ट में पेश की गई चाजर्शीट में इस बात का खुलासा हुआ है कि पवन कुमार सिंह रांची में बिल्डर का काम करता था. उसकी पत्नी रेणु सिंह ‘गौतम कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपर्स प्रा.लि.’ की अध्यक्ष है व पवन एमडी है. जिस एकाउंट से डेढ़ करोड़ रुपये की निकासी हुई थी उस वेलोसिटी इंटरनेशनल के डायरेक्टर संदीप मिश्र (आरोपी) से पवन की जान पहचान थी. पवन व संदीप ने ही महारानी ऑटोमोबाइल्स का एकाउंट नंबर डॉ गौरव वरुण से लिया था. यह कहकर लिया गया था कि किसी नेताजी के का पैसा मंगाना है.

डॉ गौरव ने पैसा मंगाने के नाम इस सर्थ पर एकाउंट नंबर दिया था कि उसे हॉस्पिटल बनाने के लिए कुछ पैसा देना होगा, जिसके लिए पवन व संदीप ने हां कहा था. महारानी ऑटोमोबाइल्स के खाते से 11.98 करोड़ रुपये वेलोसिटी इंटरनेशल के खाते में भेजे गये थे. संदीप मिश्र ने पूरे 11.98 करोड़ रुपये निकालने की कोशिश की थी. लेकिन बैंक अधिकारियों द्वारा एक साथ इतने कम समय में 11.98 करोड़ देने में असमर्थता जाहिर की. जिसके बाद महज 1.5 करोड़ रुपये की निकासी हुई थी. शेष साढ़े दस करोड़ रुपये एसबीआइ के अधिकारियों को वापस लौटा दिये गये थे. वहीं डेढ़ करोड़ रुपये एक माह के भीतर लौटाने की बात बैंक अधिकारियों को कही थी. लेकिन अभी तक इसमें से एसबीआइ प्रबंधन को पैसे वापस नहीं मिले है. इधर, सूत्रों की माने तो पवन कुमार सिंह रसूख वाला व्यक्ति है.

Next Article

Exit mobile version