जांच के नाम पर कुंडली मार बैठ गया विभाग

जांच के नाम पर कुंडली मार बैठ गया विभाग – रिटायर होने के बाद भी नहीं हो सकी जांच पूरी- विभागीय आरोप पत्र भी हो चुका है दाखिल- तिरहुत प्रमंडल सहित कई जिलों के बड़े अधिकारियों के खिलाफ चल रही है जांच संवाददाता, मुजफ्फरपुरडाक विभाग जांच के नाम पर कुंडली मारकर बैठ गया है. यही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 21, 2015 7:30 PM

जांच के नाम पर कुंडली मार बैठ गया विभाग – रिटायर होने के बाद भी नहीं हो सकी जांच पूरी- विभागीय आरोप पत्र भी हो चुका है दाखिल- तिरहुत प्रमंडल सहित कई जिलों के बड़े अधिकारियों के खिलाफ चल रही है जांच संवाददाता, मुजफ्फरपुरडाक विभाग जांच के नाम पर कुंडली मारकर बैठ गया है. यही वजह है कि आठ ऐसे वरीय अधिकारी है, जिनके खिलाफ विजलेंस की जांच चल रही थी और वह रिटायर तक हो गये. इस बीच उनके खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल हुआ, लेकिन अब तक कार्रवाई के नाम पर विभाग खामोश बैठा है. दूसरी तरफ विभागीय अधिकारी यह दलील देना शुरू कर दिये हैं कि मामला अब उनकी पकड़ से दूर है. मामले की जांच के बाद कार्रवाई केवल राष्ट्रपति के हस्तक्षेप के बाद ही हो सकेगा. आरटीआई से हुआ खुलासा आरटीआई के जरिये विभाग से इसी साल 15 अक्टूबर को यह जवाब मांगा गया कि पूरे बिहार में ऐसे राज पत्रित अधिकारियों की संख्या बतायी जाये, जिनके खिलाफ सेवानिवृत्त होने के बाद विभागीय जांच लंबित है. साथ ही इनके खिलाफ किस-किस तिथि में आरोप पत्र दाखिल किया गया. इस पर विभाग ने 15 नंवबर को बिहार के आठ राज पत्रित रिटायर अधिकारियों की सूची उपलब्ध कराते हुए आरोप पत्र की तिथि बतायी. सबसे अहम बात यह रही है कि विभाग के जिम्मेदारों ने इनको बचाने के लिए रिटायर होने के बाद इनके खिलाफ विभागीय आरोप पत्र दाखिल किया. विभागीय सूत्रों की मानें तो यह खेल इसलिए खेला गया क्योंकि अगर इनकी गर्दन जांच में फंसती तो डाक विभाग के कई गड़बड़ झाले लोगों के सामने खुलकर आ जाते. इस मामले में विजलेंस की टीम जांच के लिए लगायी गयी थी. नियम 14 के तहत चल रही थी जांच डाक विभाग के नियम 14 के तहत इन जिम्मेदारों के खिलाफ जांच चल रही थी. अगर इस दशा में रिटायर होने से पहले इनके खिलाफ विभाग ने आरोप पत्र दाखिल किया होता तो नियम 14 के तहत इनके खिलाफ बर्खास्तगी, डिमोशन, रुपये वसूली सहित कई गंभीर धाराओं में सजा हो सकती थी, लेकिन विभाग ने इन्हें बचाने के लिए इनके खिलाफ उस वक्त आरोप पत्र दाखिल नहीं किया. इसकी वजह से ये रिटायर हो गये. रिटायर होने के बाद अब इनके खिलाफ नियम नौ के तहत जांच चल रही है, जो बेहद जटिल प्रक्रिया है. इसमें कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति हस्तक्षेप करेगा, इसके बाद ही इनके खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी. उस पर भी विभाग जांच के नाम खामोशी की चादर ओढ़े हुए है. सूत्रों का कहना है कि विभाग अगर इनके खिलाफ सही से जांच करे, तो कई बड़े घोटालों के राज खुल सकते हैं. साथ ही कई बड़े अधिकारी भी इसके चपेट में आयेंगे. इसलिए विभागीय जांच बेहद धीमी रही. इन रिटायर अधिकारियों पर चल रही है जांच जेएन पांडेय, डाक अधीक्षक, गया सुशील झा, डाक अधीक्षक, नालंदा आर बीपी सिंह, डाक अधीक्षक, समस्तीपुरआरके लाल, परियोजना पदाधिकारी क्षेत्रीय महाध्यक्ष कार्यालय, मुजफ्फरपुरराजेश्वर पासवान, प्रवर डाकपाल, छपरापीसी सिंह, डाक अधीक्षक, बेगूसरायएसएन पांडेय, रिटायर डाक अधीक्षक, पश्चिमी चंपारण बेतियामधुसूदन घोष, मुख्य पोस्ट मास्टर, पटना

Next Article

Exit mobile version