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उर्स हुजुर शेरे बिहार में जुटेंगे देश के कई उलेमा

उर्स हुजुर शेरे बिहार में जुटेंगे देश के कई उलेमाफोटो भी है. मकसुदपुर स्थित उन्के आस्ताने पर पहुंच चुका हजारों अकिदतमंदों का जत्था. पुरी रात नात, मनकबत, व शेरो शायरी का चलेगा दौड़ सुन्नी जमाअत के बडे आलिम थे मुफती असलम रीजवी. प्रतिनिध, औराईउर्स हजुर शेरे बिहार में शामिल होने के लिए औराई के मकसुदपुर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 23, 2015 12:45 AM

उर्स हुजुर शेरे बिहार में जुटेंगे देश के कई उलेमाफोटो भी है. मकसुदपुर स्थित उन्के आस्ताने पर पहुंच चुका हजारों अकिदतमंदों का जत्था. पुरी रात नात, मनकबत, व शेरो शायरी का चलेगा दौड़ सुन्नी जमाअत के बडे आलिम थे मुफती असलम रीजवी. प्रतिनिध, औराईउर्स हजुर शेरे बिहार में शामिल होने के लिए औराई के मकसुदपुर स्थित मुफती असलम के मकबरे पर देश के दूर दराज से अकिदतमंदों का जत्था पहुंच चुका है. वहीं लोगों के आने का सिलसिला देर रात तक जारी है. सुन्नी जमाअत के नामवर आलीमेदिन के सालाना उर्स के मौके पर उन्के मकबरे के साथ उनके द्वारा कायम किये गऐ मदरसा जामिया कादरीया को भी दुल्हन की तरह फूलों से सजाया गया है. साथ ही इस दौरान होने वाले तकारीर के लिए देश के बरैली, धोसी, दरभंगा, बाराबंकी, इलाहाबाद, फैजाबाद , गोंडा समेत कई शहरों से आलिमों का जत्था उर्स में शिरकत के लिए रविवार को जामिया कादरीया पहुंच चुके है. देश समेत नेपाल, मोरीशस, भुटान, सउदी अरब, साउथ अफ्रिका से भी भारी संख्या में उर्स में शिरकत के लिए अकिदतमंद पहुंच चुके हैं. आलीमों के बैठने के लिए एक भव्य पंडाल का निमार्ण किया गया है. जहां से वे धर्म के बात को अकिदतमंदों तक पहुंचाऐंगे. उर्स का समापन 23 की रात को फातेहाखानी के उपरान्त होगा. इस दौरान रविवार को प्रखंड क्षेत्र के महेश स्थान, औराई चरपुरवा टोला, मेडिडिह, मकसुदपुर, चंडिहा, बभनगावां, महुआरा, बडा बुजुर्ग, रतवारा, नया गांव धाट समेत दर्जनों गावं के अकिदतमंद नारे तकबीर की सदाओं के साथ चादरपोशी करते रहे. विधि व्यवस्था व लंगर समेत सभी कार्यों की देख रेख के लिए मो. बाबर अलीमी, मो. तरन्नुम, मो. ऐजाज, नवलकिशोर ठाकुर, हकिम अनवर, डा. हशमत, डा. ऐम ऐम चांद, मो. जावेद, बजरंगी ठाकुर, अशफाक अहमद राईन, जकी इमाम, मुन्ना चौधरी समेत 250 भोल्ेान्टीयर की नियुक्ति उर्स कमिटी द्वारा की गई है जो की स्थिति पर नजर रखेंगें. पाये दर्जे के बुजुर्ग थे हुजुर शेरे बिहार हुजुर शेरे बिहार से प्रचलित मुफती असलम रीजवी का जन्म थाना क्षेत्र के महुआरा गांव में ऐक साधारण परीवार में हुआ था. वे जन्म से ही धार्मिक पढ़ाई हासिल करने के लिए देश कई स्थानों के मदरसों में शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत मुसलिम समाज में शिक्षा की कमी को देखते हुए औराई के मकसुदपुर में सन 1962 इ. में जामिया कादरीया के नाम से ऐक मदरसा की स्थापना कर समाज के गरीब बच्चों को घर्म की जानकारी देने लगे. उनके द्वारा तैयार हजारों की संख्या में आलिम आज देश के कोने कोने में लोगों की सेवा कर रहे हैं. उनकी काबलियत व बुर्जुर्गी को देखते हुए उन्हें बरैली सरीफ के द्वारा शेरे बिहार का लक्ब दिया गया. वे 63 वर्ष की उम्र में विगत छह जनवरी 2012 को मदरसे कैंपस में अंतिम सांस ली. उनके मौत के बाद दन्के जनाजे की नमाज में देश व विदेशों से अंतिम विदाई देने के लिए लाखों अकिदतमंद जुटे थे. विद्यालय के प्रतिभावान क्षात्र के सम्मान में समारोह का आयोजन औराई. प्रखंड क्षेत्र के शाही मीनापुर स्थित श्री देवी प्रसाद सरस्वती शिशु मंदिर में रविवार को विद्यालय के प्रतिभावान छात्र दिव्यांशु आनंद, सौरभ शेखर, रविशंकर के द्वारा विधालय के विभागिय, प्रांतिय, क्षेत्रिय, संस्कृत विज्ञान प्रश्न मंच में प्रथम स्थान लाकर क्षेत्र,जिला समेत उत्तर बिहार का नाम रोशन करने के लिए के लिये सम्मानित किया गया. इस मौके पर विद्यालय प्रबंध समिति के सभी सदस्य उपस्थित थे.

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