मीनापुर के ग्रामीण इलाको मे ऐसे बचाते है फसल
मीनापुर के ग्रामीण इलाको मे ऐसे बचाते है फसलकिसानो ने ढ़ूढ़ा देशी जुगत,पक्षियों से सुरक्षा के लिए खेतो मे लगाया पुतलानीलगाय व खरगोश के लिए बनाया लैंड माइंस, नीलगाय व वनैया सुअर ने बढ़ा दी थी चिंताफोटो अटैचमीनापुर. ग्रामीण इलाकों मे नीलगाय व वनैया सुअर का इतना आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. […]
मीनापुर के ग्रामीण इलाको मे ऐसे बचाते है फसलकिसानो ने ढ़ूढ़ा देशी जुगत,पक्षियों से सुरक्षा के लिए खेतो मे लगाया पुतलानीलगाय व खरगोश के लिए बनाया लैंड माइंस, नीलगाय व वनैया सुअर ने बढ़ा दी थी चिंताफोटो अटैचमीनापुर. ग्रामीण इलाकों मे नीलगाय व वनैया सुअर का इतना आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. फसल बर्बादी को देख किसानों की चिंता बढ़ गयी है. आकाश मे उड़ने वाले पक्षीं व खरगोश ने तो खेतो की फसलो को रौंदना शुरु कर दिया है. ऐसी स्थिति मे किसानो का देशी जुगाड़ काम आने लगा है. फसलों को बचाने के लिए किसानो ने नयी तरकीब निकाली है. मीनापुर के दर्जनो गांवो के खेतो मे लहलहाती फसलों के बीच मानवरुपी पुतला लगाया गया है. सोढ़ना माधोपुर गांव के किसान विनोद कुमार बताते है कि यह जुगत किसानो के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है. दिन मे पुतला देख पशु-पक्षी डर जाते है. जबकि रात मे नीलगाय व वनैया सुअर से रक्षा होता है. रंगीन साड़ी व रोलेक्स देखकर भी जंगली जानवर भागता है. महदेइया के जयनंदन बैठा बताते है कि नीलगाय व वनैया सुअर का आंतक काफी बढ़ गया है. किसानों को खुद फसल सुरक्षा के लिए आगे आना होगा. मुस्तफागंज के दिनेश साह बैगन के फसल को खरगोश व अन्य जंगली जानवरो के आतंक से बचाने के लिए नयी तरकीब निकाली है. मिरचइया पटाखा को सुतली मे कई जगहो पर लगाकर देशी लैंड माइंस बनाया है. इसको खेतो के आसपास लगा दिया जाता है. पांच मिनट के अतंराल पर पटाखा की आवाज पर जंगली जानवर फटकता भी नहीं है. यह प्रयोग अन्य स्थानों पर भी हो रहा है. घोसौत के धर्मेंद्र कुमार, रामवरण प्रसाद,जगन्नाथ प्रसाद, सुराज भगत आदि किसान भी खेतो के फसल पर जंगली जानवरो के गिद्ध दृष्टी से परेशान है. किसान बेशकीमती फसलो के लिए तार का बैरकेडिंग करते है.पुतला लगाते है तथा बम भी फोड़ते है. टेंगरारी के सुधीर डिसुजा बताते है कि खेतो मे पुतला लगाने के बाद अमूमन फसल बर्बाद होने का डर नही रहता है. यह है नायाब तरीका मीनापुर के उत्तरी इलाको मे जंगली जानवरो से फसल के बचाव के लिए किसानों ने नायाब तरीका निकाला है. हालांकि यह सब से संभव नही है. किसान विनोद कुमार बताते है कि मछली का चोईटा व शरीर से निकला अवशेष को पानी व अंडा मे मिलाकर सड़ाया जाता है. उसे बर्तन मे बंद कर विषैला बनाया जाता है.किसान गमछा से मुंह बांध कर खेतों के मेड़ो पर छिड़कते है. इसके विषैला गंध से जंगली जानवर खेतो से काफी दूर रहते है. इस तरह फसल बर्बाद होने से बच जाता है. हरशेर के राजेश कुमार, सोढ़ना के मस्तान, घोसौत चक्की के महावीर सहनी, झोझा के जगन्नाथ सहनी व बैधनाथ सहनी ने इसका सफल प्रयोग किया है.