बोर्ड परीक्षा से पहले एचएम पूरा कराएं कोर्स

बोर्ड परीक्षा से पहले एचएम पूरा कराएं कोर्स मिशन एग्जाम: -परीक्षा की तैयारी के लिए होगा साप्ताहिक टेस्ट -छात्रों की कमजोरी चिन्हित करने को कहा गया -डीएन हाइस्कूल में बैठक हुई, दिया गया निर्देश संवाददाता, मुजफ्फरपुर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की मैट्रिक परीक्षा 2016 में शामिल होने वाले छात्रों का कोर्स पूरा कराने के लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 15, 2015 8:12 PM

बोर्ड परीक्षा से पहले एचएम पूरा कराएं कोर्स मिशन एग्जाम: -परीक्षा की तैयारी के लिए होगा साप्ताहिक टेस्ट -छात्रों की कमजोरी चिन्हित करने को कहा गया -डीएन हाइस्कूल में बैठक हुई, दिया गया निर्देश संवाददाता, मुजफ्फरपुर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की मैट्रिक परीक्षा 2016 में शामिल होने वाले छात्रों का कोर्स पूरा कराने के लिए विभाग ने तैयारी तेज कर दी है. सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को निर्देश दिया गया है कि अपने स्तर से प्रयास करके छात्र-छात्राओं का कोर्स परीक्षा से पहले पूरा कराएं. इसके लिए नियमित क्लास चलाएं तथा जरूरत पड़ने पर एक्स्ट्रा क्लास की भी व्यवस्था करें. बोर्ड की यह कवायद वार्षिक परीक्षा में कदाचार रोकने व परीक्षाफल बेहतर बनाने के प्रयास की दिशा में चल रही है. मंगलवार को जिले के सभी राजकीय, राजकीयकृत, अल्पसंख्यक, प्रोजेक्ट व नव उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों की बैठक डीएन हाइस्कूल में बुलाई गई थी. इसमें उन्हें प्रधान सचिव की अध्यक्षता में हुई बोर्ड सचिव व क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशकों की बैठक में लिए गए निर्णय से अवगत कराया गया. डीइओ गणेश दत्त झा ने सभी प्रधानाध्यापकों को निर्देश दिया कि पाठ्यक्रम पूर्ण कराएं. सेंट अप परीक्षा के बाद सभी विद्यालयों में नियमित रूप से कक्षाएं चलनी चाहिए. इसमें किसी तरह की लापरवाही सेंट अप परीक्षा के परिणाम का मूल्यांकन करके यह पता लगाया जाय कि कौन छात्र किस विषय में कमजोर है, उसके हिसाब से ही उन्हें अतिरिक्त शिक्षा की व्यवस्था करके कोर्स पूरा कराया जाए. डीइओ ने प्रधानाध्यापकों से कहा कि बच्चों का साप्ताहिक टेस्ट लेना सुनिश्चित करें. इससे उनकी बेहतर तैयारी होगी, साथ ही कमजोरियों का भी पता चल सकेगा. डीइओ ने कहा कि पढ़ाई में कमजोर बच्चों की तैयारी के लिए उनके अभिभावकों का भी सहयोग लें. एक समय निश्चित कर लें, जब शिक्षक-अभिभावक मीटिंग हो और छात्रों की कमजोरी से अभिभावकों को भी अवगत कराएं.

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