एक आरक्षी 155 बंदी पर रखते हैं जेल में नजर
एक आरक्षी 155 बंदी पर रखते हैं जेल में नजर – 12 सुरक्षाकर्मी सुबह के पांच बजे से लेकर शाम के चार बजे तक बंदियों पर रखते है नजर – बंदियों की बड़ी संख्या में सुरक्षा से खिलवाड़,सुरक्षाकर्मी भगवान भरोसे ही चल रही – वर्तमान में जेल में प्रदेश के बड़े-बड़े कई नामी माफिया बंद […]
एक आरक्षी 155 बंदी पर रखते हैं जेल में नजर – 12 सुरक्षाकर्मी सुबह के पांच बजे से लेकर शाम के चार बजे तक बंदियों पर रखते है नजर – बंदियों की बड़ी संख्या में सुरक्षा से खिलवाड़,सुरक्षाकर्मी भगवान भरोसे ही चल रही – वर्तमान में जेल में प्रदेश के बड़े-बड़े कई नामी माफिया बंद व हार्ड कौर नक्सली है बंद कुमार दीपूमुजफ्फरपुर. शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में बंदियों पर नजर सुरक्षाकर्मी कितनी बारीकी से रखते है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 12 आरक्षी के सहारे जेल के 1618 बंदियों पर नजर रखते की जिम्मेदारी है. इस अनुपात में अगर देखा जाय तो एक आरक्षी 155 बंदी पर नजर रख रहे है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि सेंट्रल जेल में बंदी पर कितनी बारीकी से सुरक्षाकर्मी नजर रख रहे है. महज 12 सुरक्षाकर्मी सुबह के पांच बजे से लेकर शाम के चार बजे तक इन बंदियों पर नजर रखते है. इसके बाद बंदियों की गिनती शुरू होती है और उसे गिनती कर वार्ड में बंद कर दी जाती है. इस दौरान अगर किसी बंदी को कुछ नहीं हुआ तो भगवान का शुक्रिया कर सुरक्षाकर्मी डय़ूटी से ऑफ हो चलते बनते है. गिनती में बंदी कम हुए तो शुरू होती है खोजबीन सेंट्रल जेल में सुबह पांच बजे बंदियों की गिनती कर वार्ड से निकाली जाती है. बंदी निकाले जाने के बाद बंदियों पर नजर जेल के अंदर तैनात 12 सुरक्षाकर्मी रखते है. वार्ड से बाहर आने के बाद बंदियों की पहली गिनती दिन के 12 बजे के आसपास होती है. इस गिनती में अगर बंदी कम मिलते है तो सुरक्षाकर्मी बंदी की खोजबीन शुरू कर देते है. अगर बंदी नहीं मिलते है तो इसके बाद जेल अधीक्षक को इसकी सूचना दी जाती है. बंदी मो साबिर भी दिन के 12 बजे की गिनती में नहीं पाया गया था. जिसके बाद उसकी तलाश शुरू की गयी और वह पाकड़ के पेड़ के उपर फांसी लगाये पाया गया. भगवान भरोसे रहते है कैदी सेन्ट्रल जेल में बंदियों की बड़ी संख्या में सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है. बंदी की सुरक्षाकर्मी भगवान भरोसे ही चल रही है. जेल प्रशासन को ना ही कैदियों की सुरक्षा की फिक्र है और ना ही उनके जेल से भाग जाने की. जेल में सुरक्षा के नाम पर केवल खानापूर्ति चल रही है. लेकिन जेल अधिकारी केवल यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते है कि उन्हें जितनी सुरक्षाकर्मी दी गयी है. उतनी में ही काम चला रहे है. अभी वर्तमान में जेल में प्रदेश के बड़े-बड़े कई नामी माफिया बंद है. इसके अलाव हार्ड कौर नक्सली भी जेल में बंद है. लेकिन उसके बाद भी सुरक्षा किस तरफ जेल में है, विभाग का ध्यान नही है. बयानजेल में जो सुरक्षाकर्मी है. उसी से काम चलाया जा रहा है. सुरक्षाकर्मी की कमी है. लेकिन इसी में बंदियों पर नजर सुरक्षीकर्मी रखते है. ई जितेंद्र कुमार, केंद्रीय जेल अधीक्षक सेंट्रल जेल मुजफ्फरपुर