मुजफ्फरपुर: माड़ीपुर रेलवे ओवरब्रिज हादसा से ठीक 35 मिनट पहले टाटा-छपरा एक्सप्रेस गुजरी थी. इससे ठीक 20 मिनट पहले इसी ट्रैक से सप्तक्रांति एक्सप्रेस गुजरी थी. इसके अलावा बगल वाले डाउन ट्रैक पर हाजीपुर से एक सवारी गाड़ी घटना के करीब आधे घंटे पूर्व आयी थी. वहीं घटना से ठीक दस मिनट पहले 1.20 बजे मोतिहारी से मुजफ्फरपुर को एक माल गाड़ी (सीजीएस) ट्रेन आयी थी.
उस वक्त यदि पुल गिरा होता, तो दुर्घटना की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है. हादसा में जिस तरह से मालगाड़ी की एक बोगी क्षतिग्रस्त हुई है. इससे स्पष्ट है कि यदि सप्तक्रांति या दूसरे किसी सवारी गाड़ी की बोगी पर पुल गिरता तो शायद सैकड़ों की संख्या में लोग इसमें दब कर अपनी जान गंवा देते.
प्रत्यक्षदर्शी तो बताते हैं कि पुल में काफी समय से कंपन था. कोई भी ट्रेन जब पुल के नीचे से गुजरती थी, तब पुल में काफी तेज कंपन होती थी. स्थानीय निवासी बताते है कि दो दिनों पूर्व ट्रैक की मरम्मत करा रहे अधिकारियों को भी इसके बारे में बताया गया था, लेकिन वे लोग शिकायत को अनसुनी कर दिये. शायद रेलवे के अधिकारी उस वक्त इस पर थोड़ा ध्यान दिये होते, तो इतनी बड़ी हादसा होने से नहीं होती.