हम कब आजाद होंगे साहब!

हम कब आजाद होंगे साहब! – 54 बंदियों को है रिहाई का इंतजार- रिहाई के इंतजार में एक बंदी तोड़ चुका है दम – जनवरी में रिहा नहीं होने पर अनशन करेंगे बंदी – 2013 के बाद नहीं हुई बंदियों की रिहाईकुमार दीपू, मुजफ्फरपुर बेटे की शादी के बाद सजा हो गयी थी. अब तो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 24, 2015 10:22 PM

हम कब आजाद होंगे साहब! – 54 बंदियों को है रिहाई का इंतजार- रिहाई के इंतजार में एक बंदी तोड़ चुका है दम – जनवरी में रिहा नहीं होने पर अनशन करेंगे बंदी – 2013 के बाद नहीं हुई बंदियों की रिहाईकुमार दीपू, मुजफ्फरपुर बेटे की शादी के बाद सजा हो गयी थी. अब तो घर के आंगन में पोते-पोती खेल रहे होंगे. लेकिन मुझ बूढ़े के बारे में उनको किसी ने बताया कि अब वह जेल से रिहा हो रहे हैं. उसके बाद से घरवाले राह ताक रहे हैं, लेकिन कब रिहाई होगी, इसका नहीं पता. रुंधी हुई आवाज में इतना कहते-कहते शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में बंद 60 वर्षीय राम लगन सिंह अपने परिजनों को याद करते हुए भावुक हो जाते हैं. वह पिछले 20 वर्षों से अपने पड़ोसी के कत्ल के जुर्म में सजा काट रहे हैं. 65 वर्षीय मोहन ठाकुर अपने परिवार के साथ गुजारे हुए दिन याद करते हैं और फिर गुमसुम होकर ऊंची-ऊंची दीवारों को देखने लगते हैं. उन्हें अपनी गलती पर बहुत पछतावा है. साहेबगंज जगदीशपुर के महादेव चौधरी ने जेल में रहकर कई हुनर सीख लिये हैं. अब वह कहते हैं एक बार छूट जाऊं तो कार्यशाला के जरिए सबको सिखाऊंगा. जेल में ऐसे 54 बंदी हैं जो अपनी आंखों में कुछ न कुछ ख्वाब संजोये हुए अपने परिजन से मिलने को व्याकुल हैं. इन बंदियों की बस एक ही फरियाद है कि हम आजाद कब कहलायेंगे. 54 बंदी है रिहाई के इंतजार में इस वक्त शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में 54 ऐसे बंदी हैं जिनकी 20 साल की सजा पूरी हो चुकी है. पूरे बिहार के 56 जेलों में 199 बंदी रिहाई का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन इनकी रिहाई की अनुमति सरकार नहीं दे रही है. इस कारण ये बंदी सजा पूरी करने के बाद भी दो साल अधिक समय से जेल में ही हैं. अपनी रिहाई का इंतजार कर रहे अधिकतर बंदियों का आचरण अच्छा है, लेकिन इनकी पैरवी करने वाला कोई नहीं है. इसलिए सिर्फ इनका अच्छा आचरण इन्हें रिहाई दिलाने के लिए काफी नहीं है. केंद्रीय जेल अधीक्षक ई जितेंद्र कुमार बताते हैं कि वर्ष 2013 के बाद बंदियों की रिहाई नहीं हुई है. इन सभी बंदियों की रिहाई की सूची सरकार को भेज दी गयी है. रिहाई होने वाले कुछ बंदी 14 साल से 20 साल तक सजा पूरी कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि जेल में जब भी कोई बंदी बीमार पड़ता है तो सभी उसकी ऐसी सेवा करती हैं. जनवरी में रिहाई नहीं हुई तो करेंगे अनशनसजा पूरी कर चुके बंदी अब रिहाई का इंतजार करते-करते जेल में ही दम तोड़ रहे हैं. दरभंगा के बहादुर निवासी राजेश्वर झा की 20 साल की सजा पूरी हो चुकी थी. लेकिन रिहाई का इंतजार करते-करते उन्होंने जेल में ही दम तोड़ दिया. परिजन उनका शव लेकर अपने घर गये. अपनी रिहाई का इंतजार कर रहे इन बंदियों ने अब जनवरी में अनशन करने का मन बनाया है. बंदियों का कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई पर चार महीना पहले मुहर लगा दी है तो राज्य सरकार रिहाई की अनुमति क्यों नहीं दे रही है, जबकि महाराष्ट्र में बंदियों की रिहाई हो रही है.

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