कम्युनस्टि पार्टियों का संयुक्त संघर्ष वक्त का तकाजा
कम्युनिस्ट पार्टियों का संयुक्त संघर्ष वक्त का तकाजाफोटो दीपक- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के स्थापना की 90वीं वर्षगांठ समारोह – देश में एक नये रूप में फांसीवाद का संकट दिख रहा है- पार्टी का अतीत संघर्ष व बलिदान का रहा हैसंवाददाता, मुजफ्फरपुर. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) आजादी की लड़ाई के साथ आगे बढ़ी. 26 दिसंबर 1925 […]
कम्युनिस्ट पार्टियों का संयुक्त संघर्ष वक्त का तकाजाफोटो दीपक- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के स्थापना की 90वीं वर्षगांठ समारोह – देश में एक नये रूप में फांसीवाद का संकट दिख रहा है- पार्टी का अतीत संघर्ष व बलिदान का रहा हैसंवाददाता, मुजफ्फरपुर. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) आजादी की लड़ाई के साथ आगे बढ़ी. 26 दिसंबर 1925 को कानपुर में पार्टी के स्थापना के 90 वर्षों के सफर के दौरान पार्टी ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आजाद भरत में पुन्नापरा वायलाए के शहीद, तेभाग और तेलंगना आंदोलन व भारत के एकीकरण में अग्रणी भूमिका निर्वहन किया. भाकपा 90 वर्षों के अतीत संघर्षों तथा बलिदानों का काल रहा है. पार्टी वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ शोषित उत्पीड़ित जनगमा के पक्ष में संघर्षों की अगुआई करते हुए देश की एकता व अखंडता की रक्षा में शहादत का गाैरवलशाली कीर्तिमान कायम किया है. आज देश जब आजाद भारत के कठिनतम संकट के दौर से गुजर रहा है, पूरे देश एक नये रूप में फांसीवाद का संकट दिख रहा है. इस संकट का सामना करने के लिए, संघर्ष को नया धार देने के लिए पार्टी को मजबूत होना जरूरी है. ऐसे में कम्युनिस्ट पार्टियों का संयुक्त संघर्ष आज वक्त का तकाजा बन गया है. उक्त बातें मिठनपुरा स्थित चंद्रशेखर भवन में पार्टी के स्थापना की 90वीं वर्षगांठ समारोह को संबोधित करते हुए प्रख्यात शिक्षाविद् सह मार्क्सवादी चिंतक डॉ खगेंद्र ठाकुर ने कही. समारोह का आगाज झंडोत्तोलन के साथ किया गया. पार्टी के वरिष्ठ नेता सह इतिहासकार प्रकाश कार्यी ने झंडोत्तोलन करते हुए पार्टी को शहादत को लंबी मिसाल बताया. समारोह की अध्यक्षता जिला सचिव अजय कुमार सिंह व धन्यवाद ज्ञापन मजदूर नेता एसएस मिश्रा ने किया. मुख्य वक्ताओं में विद्या सिंह, केदानाथ गुप्ता, जय नारायण प्रसाद, रामबालक महतो, डॉ भारती सिंह, डॉ पूनम सिंह, डॉ पुष्पा गुप्ता, रत्नेश्वर प्रसाद सिंह, डॉ अरूण कुमार, कैलाश प्रसाद सिंह, बैंक यूनियन के एनके शर्मा, डॉ रश्मि रेखा, शेखर प्रसाद सिंह, रामनाथ सुमन, डॉ रमेश ऋतंभर आदि शामिल थे. अंत में साहित्यकार डॉ पंकज सिंह के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.