राष्ट्रीयता का उद्गम स्थल है लोकगाथाएं
राष्ट्रीयता का उद्गम स्थल है लोकगाथाएंसंस्कार भारती की प्रांतीय इकाई की ओर से सेमिनार का आयेाजनभोजपुरी, बज्जिका व मैथिली भाषा के विकास पर वक्ताओं की चर्चावरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर . संस्कार भारती की प्रांतीय इकाई की ओर से रविवार को चंद्रलोक चौक स्थित एक रेस्टोरेंट में लोक साहित्य में राष्ट्रीयता और संस्कृति का स्वरूप पर सेमिनार […]
राष्ट्रीयता का उद्गम स्थल है लोकगाथाएंसंस्कार भारती की प्रांतीय इकाई की ओर से सेमिनार का आयेाजनभोजपुरी, बज्जिका व मैथिली भाषा के विकास पर वक्ताओं की चर्चावरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर . संस्कार भारती की प्रांतीय इकाई की ओर से रविवार को चंद्रलोक चौक स्थित एक रेस्टोरेंट में लोक साहित्य में राष्ट्रीयता और संस्कृति का स्वरूप पर सेमिनार का आयोजन किया गया. इस मौके पर भोजपुरी, मैथिली व बज्जिका लोकभाषाओं के संदर्भ में विचार रखे गये. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रांतीय अध्यक्ष डॉ रिपूसुदन श्रीवास्तव ने त्रिवर्षीय शोध परियोजना की परिकल्पना, अध्यायक्रम व उद्देश्य पर प्रकाश डाला. विषय प्रवेश कराते हुए डॉ रामप्रवेश ने कहा कि लोकधारा व वैदिक धारा को समानांतर बताया. उन्होंने कहा कि हमारी जनपदीय भाषाओं में राष्ट्रीयता की अकूत शक्ति है व लोकगाथाएं राष्ट्रीयता का उद्गम स्थल है. मुख्य अतिथि व राजभवन के जनसंपर्क अधिकारी डॉ सुनील कुमार पाठक ने राष्ट्र व देशभक्ति की अवधारणा पर बोलते हुए कहा कि भारतीय राष्ट्रीयता या राष्ट्रवाद का स्वरूप ज्यादा मानवतावादी, उदारवादी व समन्वयवादी रहा है. दरभंगा से आये अग्रही ने बज्जिका के साहित्यिक विकास पर, रामेश्वर प्रसाद ने भाषिक उन्नयन व ब्रजनंदन वर्मा ने लोक संस्कृति पर विचार रखे. कार्यक्रम में डॉ राजन कुमार सिंह, डॉ मदन मिश्र व डॉ इंदुशेखर झा ने मैथिली साहित्य में राष्ट्रीयता की भावना पर विचार रखा. संस्स्था की महानगर अध्यक्ष डॉ ममता रानी ने आयोजन के लिए प्रांतीय इकाई की सराहना की. अतिथियों का स्वागत डॉ डीके सिंह व प्रभात कुमार ने किया. धन्यवाद ज्ञापन संजय ने किया. कार्यक्रम के अंत में साहित्यकारों ने कवि पंकज सिंह के निधन पर दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी.