कोई मेरे पति को लौटा दे…

मुजफ्फरपुर: अपने कमरे में बदहवास बैठी रागिनी हर आने जाने वाले से बस एक ही फरियाद कर रही थी, कोई मेरे पति अंकित को लौटा दे. मेरा अंकित हर किसी की मदद करता है. कोई हमारी मदद कर दो और मेरे अंकित को लाकर दे दो. यह कहते कहते रागिनी बेहोश हो रही थी. कमरे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 30, 2015 8:35 AM

मुजफ्फरपुर: अपने कमरे में बदहवास बैठी रागिनी हर आने जाने वाले से बस एक ही फरियाद कर रही थी, कोई मेरे पति अंकित को लौटा दे. मेरा अंकित हर किसी की मदद करता है. कोई हमारी मदद कर दो और मेरे अंकित को लाकर दे दो. यह कहते कहते रागिनी बेहोश हो रही थी. कमरे में बैठी कुछ औरतें रागिनी के चेहरे को पानी से धोती, तो उसे होश आता और वो फिर से अंकित को वापस लाने की बात करने लगती.

अंकित अभी नहीं, बाद में आइयेगा… बरामदे में अंकित की मां मीरा झा अपने पांच साल का पोते अपूर्व को सीने से लगाये बैठी थी. उनकी आंखों के आंसू जैसे सूख से गये थे. घर पर आने जाने वाले हर किसी से वह अपने बेटे अंकित के बारे में कहा कह रही थी, वह अभी घर पर नहीं है. आने के बाद आप लोग आइयेगा. दोनों की बातें सुन हर किसी की आंखे नम हो रही थीं. हर किसी के आंखों से आंसू टपक रहे थे और जुबान पर एक ही बात आ रही थी. अगर दुश्मनी थी, तो दो चार थप्पड़ मार देते, हत्या क्यों कर दी?

बेटी बोली, मम्मी, पापा को किसने मारा. अंकित के तीन बच्चे हैं. बच्चों में दो लड़की और एक लड़का है. बेटा अपूर्व है, जो पांच साल का है. बड़ी बेटी आदित्य है जो नौ साल और दूसरी बेटी शगुन छह साल की है. इन मासूमों को ठीक से यह भी नहीं पता कि उनके पिता इस दुनिया में अब नहीं हैं. मां रागिनी से अपूर्व हर बार अपने पिता के बारे पूछता है कि मम्मी पापा कब आयेंगे? उस पर उसकी मां उसे कहा करती थी, वे कार में बैठकर गये हैं, जल्द ही लौट आयेंगे. अपूर्व उसके बाद कमरे से बाहर निकल बालकनी से देखने लगता था. रास्ते से हर गुजरती कार दिखायी देती, तो वह आवाज लगाता था.

मम्मी-मम्मी देखो कार आ रही है. उसमें पापा आ रहे हैं. बेटे की ऐसी मासूमियत पर रागिनी की आंखों में आंसू छलक आते थे. अंकित की बड़ी बेटी आदित्यी अपनी छोटी बहन शगुन को लेकर एक कुर्सी पर बैठी थी. आदित्यी के आंखों से आंसू टपक रहे थे, लेकिन शगुन टकटकी लगाये सभी को देख रही थी. उसे यह पता भी नहीं था कि उसके सर से उसके पापा का साया उठ गया है. वह कुछ देर बाद अपनी मां के पास जाकर बैठ जाती है. रागिनी उसे पकड़ कर रोने लगती है. शगुन अपनी मां से यह पूछ बैठती है कि किसने पापा को मारा है, लेकिन रागिनी उसके सवालों का जबाव देने के बजाय जोर-जोर से रोने लगती.

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