गेहूं के बाद जीरो टिलेज से की तोरी की खेती
गेहूं के बाद जीरो टिलेज से की ताेरी की खेती फोटो मड़वन डीएओ बोले, पहली बार हुई ऐसी खेती किसानों के प्रयोग से सीख रहे और किसान फसल देखने पहुंचे डीएओ ने की सराहना तोरी के पौधों को मिल रही पर्याप्त धूप व हवा 50 किलो ताेरी व गेहूं 120 किलो प्रति कट्ठा होगा उत्पादन […]
गेहूं के बाद जीरो टिलेज से की ताेरी की खेती फोटो मड़वन डीएओ बोले, पहली बार हुई ऐसी खेती किसानों के प्रयोग से सीख रहे और किसान फसल देखने पहुंचे डीएओ ने की सराहना तोरी के पौधों को मिल रही पर्याप्त धूप व हवा 50 किलो ताेरी व गेहूं 120 किलो प्रति कट्ठा होगा उत्पादन किसान ने की कम लागत में लगायी दोनों फसलमडवन, मुजफ्फरपुरविशुनपुर के किसान राम शंकर सिंह ने जिरो टिलेज से 11 एकड़ में तोरी की खेती की है. साथ ही आठ एकड़ में गेहूं की खेती की है. इनकी खेती कुल मिलाकर और किसानों के लिए भी सकारात्मक संदेश दे रहा है. रामा शंकर सिंह बताते हैं कि ताेरी की खेती में जीरोटिलेज नया प्रयोग है. उत्पादन बेहतर होने की उम्मीद है. जीरोटिलेज से तोरी की खेती जाये तो तेल का संकट दूर किया जा सकता है. इनकी फसल को देखने के लिए जिला कृषि पदाधिकारी सुधीर कुमार बुधवार को पहुंचे. फसल देख देखकर वह काफी खुश हुए. किसान श्री पुरस्कार से सम्मानित किसान रामा शंकर सिंह ने बताया कि पूरे प्रखंड में जीरोटिलेज से कुल 35 एकड़ में खेती हुई है. इनमें बड़कागांव, पानापुर विशुनपुर, चैनपुर गांव शामिल हैं. इस विधि की खेती में कम बीज और उर्वरक की खपत होती है. खेत की जुताई में भी कम लागत लगती है. खेतों में एक लाइन में बोआई बड़ी बात है. सूर्य की रौशनी व हवा पौधों को खूब मिलता है. किसान श्री का दावा है कि इस विधि से कि गई खेती में एक कट्ठा में 50 किलो उत्पादन होगा. गेहूं की उपज प्रति कट्ठा में 120 किलो होगा. 40 फीसदी उत्पादन बढ़ जाता है. इस मौके पर सुनील कुमार शुक्ला, बीएओ सर्वेन्द्र किशोर, राजेश कुमार चौधरी, रामजीवन गांधी, सुरेश कुमार सुमन मौजूद थे.