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बिहार शक्षिा परियोजना में 47.57 करोड़ का हिसाब नदारद

बिहार शिक्षा परियोजना में 47.57 करोड़ का हिसाब नदारद प्रभात एक्सक्लूसिव – स्कूल निर्माण से पीछे हटे, बच्चाें को भी नहीं दी पोशाक व छात्रवृत्ति- जिले के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों का ये है हाल – काम के बदले विभाग को सफाई देने में जुटे हैं प्रधानाध्यापक – छात्र हित के पैसे एचएम के खाते […]

बिहार शिक्षा परियोजना में 47.57 करोड़ का हिसाब नदारद प्रभात एक्सक्लूसिव – स्कूल निर्माण से पीछे हटे, बच्चाें को भी नहीं दी पोशाक व छात्रवृत्ति- जिले के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों का ये है हाल – काम के बदले विभाग को सफाई देने में जुटे हैं प्रधानाध्यापक – छात्र हित के पैसे एचएम के खाते में, कमा रहे बैंकों से सूद- वर्ग कक्ष, कस्तूरबा गांधी विद्यालय, एचएम कक्ष, शौचालय का कराना निर्माण धनंजय पांडेय, मुजफ्फरपुर शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के बजाय प्रधानाध्यापक इसे दलदल में डाल रहे हैं. सरकार ने प्रधानाध्यापकों पर भरोसा कर स्कूलों में भवन निर्माण व छात्रों को पोशाक व छात्रवृत्ति बांटने के लिए करोड़ों रुपये दिये. लेकिन प्रधानाध्यापकों ने सरकार का भरोसा तोड़ दिया. पैसा अपने खाते में रखे रहे. न स्कूलों का कायाकल्प किया, न छात्रों को पोशाक व छात्रवृत्ति बांटी. यह मामला कोई एक दो वर्ष का नहीं, दस वर्षों से चल रहा है. प्रधानाध्यापक सरकारी नियम कानून को तोड़ अपनी मरजी से शिक्षण व्यवस्था को जैसे-तैसे चला रहे हैं. अभी हाल है कि बिहार शिक्षा परियोजना (बीइपी) में 47.57 करोड़ रुपये का हिसाब-किताब नहीं मिल रहा है. अभी हाल में बीइपी ने जो रिपोर्ट तैयार किया है उसमें व्यापक पैमाने पर स्कूलों के प्रधानाध्यापकों की गड़बड़ी सामने आयी है. रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानाध्यापकों को छात्र हित में काम करने के लिए 47.57 करोड़ दिये गये थे. लेकिन, पैसे से काम नहीं हुआ, उन पैसों का बैंकों में सूद बढ़ रहा है. अब हाल यह हो चुका है कि जिन प्रधानाध्यापकों को पैसा दिया गया, उनमें से अधिकांश के पास अब लेखा-जोखा नहीं है. जांच से विभागीय अधिकारी भी सुस्त पड़े गये हैं. जब मुख्यालय से सबकी गर्दन फंसी, इसके बाद करोड़ों रुपये एडजस्टमेंट कराने को लेकर कवायद शुरू हुयी. दीमक लगे पुराने रिकॉर्ड निकालकर संबंधित प्रधानाध्यापकों को नोटिस भेजी जा रही है. प्रधानाध्यापकों की मनमानी व विभागीय अधिकारियों की लापरवाही का सिलसिला वित्तीय वर्ष 2005-06 से ही चल रहा है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में नॉन सिविल के तहत दिये गये एडवांस का 97.88 फीसदी एडजस्टमेंट हो गया है. सिविल में केवल 33.92 फीसदी का ही एडजस्टमेंट हुआ है. विभाग ने पुराने बकाये का भी हिसाब जुटाना शुरू कर दिया है. वित्तीय वर्ष 2013-14 तक के बकाया एडवांस का भी एडजस्टमेंट कराया जा रहा है. सिविल में 50.17 व नॉन सिविल में 60.36 फीसदी का एडजस्टमेंट एक महीने में हुआ है. हालांकि सिविल योजना अंतर्गत 44.09 करोड़ व नॉन सिविल अंतर्गत 3.48 करोड़ रुपये का हिसाब-किताब नहीं मिल रहा है. भवन निर्माण के लिए ले लिया पैसा, काम कराने से मुंहमोड़ा एक अप्रैल 2014 तक दिया गया एडवांस- 27,96,36,158 रुपये 13 जनवरी 2016 तक एडजस्टमेंट-14,02,90,158 रुपये बैलेंस एडवांस-13,93,46,000 रुपये वित्तीय वर्ष 2014-15 में दिया गया एडवांस- 45,64,50,812 रुपये 13 जनवरी 2016 तक एडजस्टमेंट- 15,48,40,812 रुपये बैलेंस एडवांस-30,16,10,000 रुपये पाेशाक व छात्रवृति योजनाओं में गड़बड़ी एक अप्रैल 2014 तक दिया गया एडवांस-2,86,32,580 रुपये 13 जनवरी 2016 तक एडजस्टमेंट-1,72,82,580 रुपये बैलेंस एडवांस-1,13,50,000 रुपये वित्तीय वर्ष 2014-15 में दिया गया एडवांस- 1,10,84,07,056 रुपये 13 जनवरी 2016 तक एडजस्टमेंट- 1,08,49,18,056 रुपये बैलेंस एडवांस-2,34,89,000 रुपये कोट: विभिन्न योजनाओं के तहत स्कूलों को दी गयी अग्रिम राशि के एडजस्टमेंट को लेकर प्रधानाध्यापकों के साथ ही बीआरपी व सीआरसी को भी निर्देशित किया गया है. प्राथमिकता के आधार पर वित्तीय वर्ष 2014-15 तक के अग्रिम राशि की उपयोगिता जमा करायी जा रही है. जो उपयोगिता नहीं देंगे या राशि वापस नहीं करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवायी की जाएगी. नीता कुमारी पांडेय, डीपीओ प्रारंभिक शिक्षा व सर्व शिक्षा अभियान \\\\B

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