टैक्स वृद्धि के खिलाफ होगा आंदोलन

मुजफ्फरपुर: बिहार सरकार की ओर से कपड़ा, बालू व मिठाई पर लगाये गये टैक्स के विरोध में चेंबर ऑफ कॉमर्स शनिवार को विस्तारित बैठक करेगा. इसमें शहर के अन्य ट्रेडों के कारोबारियों को भी आमंत्रित किया जायेगा. बैठक में कपड़ा पर टैक्स लगाने व अन्य सामानों पर टैक्स वृद्धि के विरोध में आंदोलन की रणनीति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 16, 2016 1:51 AM
मुजफ्फरपुर: बिहार सरकार की ओर से कपड़ा, बालू व मिठाई पर लगाये गये टैक्स के विरोध में चेंबर ऑफ कॉमर्स शनिवार को विस्तारित बैठक करेगा. इसमें शहर के अन्य ट्रेडों के कारोबारियों को भी आमंत्रित किया जायेगा. बैठक में कपड़ा पर टैक्स लगाने व अन्य सामानों पर टैक्स वृद्धि के विरोध में आंदोलन की रणनीति बनेगी. उक्त निर्णय शुक्रवार को सूतापट्टी में चेंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों व अन्य व्यवसायियों ने बैठक कर लिया.

बैठक की अध्यक्षता करते हुए कैलाश नाथ भरतिया ने सरकार के इस निर्णय को आम आदमी पर महंगाई का बोझ डालने वाला बताया. इस मौके पर चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष मोतीलाल छापड़िया, श्रीराम बंका, पुरुषोत्तम पोद्दार, जयप्रकाश अग्रवाल, सज्जन शर्मा, मुकेश रुंगटा, मुकेश नेमानी, राजेश टिकमानी, ऋषि अग्रवाल, खुदरा व्यवसायी संघ के महामंत्री अजय चाचान, वैशाली स्वीट्स के रवींद्र प्रसाद सिंह, बालू-गिट्टी कारोबारी सुनील कुमार मुख्य रूप से मौजूद थे.
टैक्स लगा तो चौपट होगा अरबों का कारोबार
कपड़ा, बालू व मिठाई पर टैक्स के विरोध में इन ट्रेडों के कारोबारियों ने मोरचा खोल दिया है. कारोबारियों का कहना है कि इससे महंगाई तो बढ़ेगी ही, बेरोजगारी भी बढ़ जायेगी. सरकार यह निर्णय उचित नहीं है. इसे वापस लेना होगा. यहां प्रस्तुत है चेंबर से जुड़े कुछ मोतीलाल छापड़िया, अध्यक्ष, चेंबर ऑफ कॉमर्स : पिछले 60 वर्षों से देश के किसी राज्य में कपड़ा पर टैक्स नहीं है. सरकार यदि टैक्स लगाती है तो इससे बिहार का कपड़ा व्यवसाय चौपट हो जायेगा. नेपाल में यहां से हर वर्ष अरबों का कपड़ा जाता है. सूबे में कपड़ों पर सेल टैक्स लगा तो बाहर के व्यापारी यहां से माल नहीं मंगायेंगे. नेपाल के कारोबारी यहां से कपड़ा नहीं मंगायेंगे. गोरखपुर के पास सोनाली बॉर्डर से वे यहां की अपेक्षा कम कीमत पर कपड़ा मंगा लेंगे. इससे यहां का कारोबार चौपट हो जायेगा.
सज्जन शर्मा : कपड़ा पर टैक्स लगा तो इंस्पेक्टर राज हो जायेगा. जब देश में कहीं भी कपड़ा पर टैक्स नहीं है तो बिहार में लगाने का क्या मतलब. सरकार कारोबारियों का दोहन करना चाहती है. टैक्स लगने के बाद यहां का कारोबार मंदा हो जायेगा. कीमतें भी काफी बढ़ जायेंगी. कारोबार मंदा होने से बेरोजगारी बढ़ेगी. सरकार को यह निर्णय वापस लेना चाहिए.
विमल छापड़िया : कपड़ा पर टैक्स किसी हालत में स्वीकार्य नहीं है. यह कारोबारियों को चंगुल में लाने की तैयारी है. साथ ही लोगों पर महंगाई का बोझ डालने की शुरुआत. देश स्तर पर जब कहीं भी टैक्स नहीं है तो बिहार में इसे लागू करने की क्या मंशा है. टैक्स लगने से बाहर के कारोबारी बिहार से कपड़ा मंगवाना छोड़ देंगे. वे अधिक कीमत देकर यहां से कपड़ा क्यों लेंगे. दूसरे प्रदेशों से थोड़ी अधिक कीमत पर कपड़ा मंगा लेंगे. सरकार को यह सोचना चाहिए.
पुरुषोत्तम पोद्दार : सरकार का यह निर्णय बहुत गलत है. हम सभी इसका विरोध करते हैं. इसके लिए चेंबर की ओर से आंदोलन की रणनीति बनायी जा रही है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. कपड़ा पर कहीं भी टैक्स नहीं है, लेकिन बिहार सरकार इस पर टैक्स लगा कर लोगाें को मंहगाई के बोझ से लाद रही है. सरकार को ज्ञापन देकर टैक्स लगाने के निर्णय को वापस करने का अनुरोध किया गया है. हमलोग इसके खिलाफ हैं और रहेंगे.

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