हाइकोर्ट की रोक के बाद भी आरबीटीएस में बहाली

मुजफ्फरपुर: राय बहादुर टुनकी साह राजकीय होमियोपैथिक (आरबीटीएस) कॉलेज ने पटना हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ताक पर रख दो दर्जन से अधिक पदों पर बहाली की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके लिए शुक्रवार से इंटरव्यू भी प्रारंभ हो गया है. यह प्रक्रिया शनिवार तक चलेगी. फिलहाल कॉलेज संविदा पर 21 व्याख्याता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2013 8:52 AM

मुजफ्फरपुर: राय बहादुर टुनकी साह राजकीय होमियोपैथिक (आरबीटीएस) कॉलेज ने पटना हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ताक पर रख दो दर्जन से अधिक पदों पर बहाली की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके लिए शुक्रवार से इंटरव्यू भी प्रारंभ हो गया है. यह प्रक्रिया शनिवार तक चलेगी. फिलहाल कॉलेज संविदा पर 21 व्याख्याता व पांच मेडिकल ऑफिसर पद के लिए साक्षात्कार ले रहा है. इससे पूरा कॉलेज प्रशासन कटघरे में खड़ा हो गया है. वहीं सालों पूर्व बहाल शिक्षकों ने बहाली की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा किया है.

साक्षात्कार शुरू होने से पूर्व ही शुक्रवार को डॉ मोहम्मद मुस्तकीन अंसारी, डॉ अभय कुमार व डॉ चंद्रदीप सिंह ने प्राचार्य को कोर्ट के ऑर्डर के साथ आवेदन दिया है. इसमें उन्होंने बहाली प्रक्रिया को अवैध ठहराते हुए पटना हाइकोर्ट में दायर रिट याचिका सीडब्ल्यूजेसी 8473/09 में 23 जुलाई 2009 को आये स्टे ऑर्डर का अवलोकन करने को कहा है. इन लोगों की बहाली सरकार ने कॉलेज को टेक ओवर करने से पूर्व की है. इसके बाद इन्हें एक साल तक वेतन भी मिला, लेकिन बाद में यह कहते हुए सरकार ने छंटनी कर दिया कि 29 जनवरी ’81 तक बहाल कर्मियों को ही योग्य माना जायेगा. इसके बाद सभी ने याचिका दायर की है.

मनमानी उजागर: व्याख्याता व मेडिकल ऑफिसर के दो दर्जन से अधिक पदों को भरने के लिए शुरू हुए इंटरव्यू में राज्य सरकार व कॉलेज प्रशासन की मनमानी उजागर हुई है. पटना हाइकोर्ट में दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश मृदुला मिश्र ने 23 जुलाई 2009 का स्टे ऑर्डर सुनाया था. साथ ही उन्होंने सरकार व कॉलेज को बहाली से पूर्व रिक्त पदों की संख्या स्पष्ट करने को कहा था. दिलचस्प पहलू है कि कोर्ट को जानकारी दिये बिना कुछ खास पदों को भरने के लिए आनन-फानन में साक्षात्कार लेना शुरू कर दिया गया. इधर, कॉलेज के प्राचार्य डॉ बीएनएस भारती के मोबाइल स्विच ऑफ रहने के कारण इस संबंध में उनसे बात नहीं हो सकी.

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