बिहार विवि की डिग्री महाराष्ट्र में फर्जी करार, 20 डॉक्टरों से छीना लाइसेंस

मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि से जारी बैचलर ऑफ होमियोपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएचएमएस) की डिग्री को महाराष्ट्र में फर्जी करार दिया गया है. इस आधार पर महाराष्ट्र होमियोपैथी कौंसिल (एमसीएच) ने पूर्व से पंजीकृत 20 डॉक्टरों का लाइसेंस भी रद्द कर दिया है. वहीं लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले 40 से अधिक लोगों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 5, 2016 6:19 AM
मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि से जारी बैचलर ऑफ होमियोपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएचएमएस) की डिग्री को महाराष्ट्र में फर्जी करार दिया गया है. इस आधार पर महाराष्ट्र होमियोपैथी कौंसिल (एमसीएच) ने पूर्व से पंजीकृत 20 डॉक्टरों का लाइसेंस भी रद्द कर दिया है. वहीं लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले 40 से अधिक लोगों के आवेदन अस्वीकृत हो गये हैं.
मामले में 20 लोगों ने गत वर्ष सितंबर माह में एक साथ बॉम्बे हाइकोर्ट में मामला दर्ज कराया, जिसमें बीआरए बिहार विवि को भी आरोपित बनाया गया है. इस मामले में विवि प्रशासन को अपना पक्ष रखना है.
आयुर्वेद व होमियोपैथिक शिक्षक की बहाली के लिए जनहित याचिका
मुजफ्फरपुर. प्रदेश के तिब्बी, आयुर्वेदिक, यूनानी व होमियोपैथिक कॉलेजों में शिक्षकों की कमी को लेकर पटना हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी है. अधिवक्ता सह लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश महासचिव सुधीर कुमार ओझा की ओर से दर्ज करायी गयी इस याचिका में राज्य सरकार के मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव व संयुक्त सचिव, बीपीएससी के अध्यक्ष व सचिव को आरोपित बनाया गया है.
श्री ओझा के अनुसार, सूबे के तिब्बी, आयुर्वेदिक, यूनानी व होमियोपैथिक कॉलेजों में काफी दिनों से शिक्षकों का अभाव है. आयुर्वेदिक कॉलेज में 86 पद, तिब्बी कॉलेज में छह, यूनानी में 94 व होमियोपैथिक कॉलेज में 100 व्याख्याता के पद रिक्त हैं. यही नहीं, होमियोपैथिक कॉलेज के 34 चिकित्सा पदाधिकारी 2002 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं. इसके कारण इन कॉलेजों में पढ़ाई व इलाज का काम पूरी तरह ठप है.
कुलानुशासक डॉ सतीश कुमार राय ने बताया िक बॉम्बे हाइकोर्ट में दर्ज मामले की कॉपी आयी है. विवि पहले खुद सभी 20 वादियों के प्रमाण पत्र की जांच करेगा. उसी के आधार पर कोर्ट में शपथ पत्र पेश किया जायेगा. जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है.
कार्रवाई से पूर्व विवि से मांगा था पक्ष
गत वर्ष महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) की इकाई विद्यार्थी सेना के उपाध्यक्ष डॉ वेद तिवारी ने महाराष्ट्र कौंसिल ऑफ होमियोपैथी (एमसीएच) में झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ शिकायत की थी. उन्होंने बकायदा फर्जी डॉक्टरों की सूची भी सौंपी. जांच के दौरान एमसीएच ने पाया कि कोर्स के दौरान सेंट्रल कौंसिल ऑफ होमियोपैथी (सीसीएच) के मानक को पूरा नहीं किया गया. मामले में एमसीएच ने विवि के कुलसचिव व सहायक कुलसचिव को कई बार पत्र लिख कर स्पष्टीकरण भी पूछा. लेकिन यहां से कोई जवाब नहीं दिया गया.
इसके बाद एमसीएच ने 20 डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द कर दिया. यही नहीं उन लोगों के खिलाफ मुंबई पुलिस में शिकायत भी दर्ज करायी गयी, जिसमें उन सभी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया. पुलिस इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार भी कर चुकी है.
इधर रजिस्ट्रार ने कहा : सही है डॉक्टरों का पंजीकरण
पटना : इधर राज्य होमियोपैथी बोर्ड के रजिस्ट्रार डॉ पीके सिंह ने कहा कि डॉक्टरों का पंजीकरण सही है. उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के रजिस्ट्रार बिहार के होमियोपैथी के छात्रों सूची लेकर आये थे. महाराष्ट्र सरकार की उस सूची का मिलान बोर्ड की सूची से किया गया. मिलान में पाया गया कि जिन डाक्टरों की सूची दी गयी वे सभी बिहार होमियोपैथी बोर्ड में पंजीकृत चिकित्सक थे.
सभी प्रमाणपत्रों की जांच शुरू
इस सिलसिले में गुरुवार को तीन पीड़ित, डॉ एसआर राय, डॉ संजीव यादव व डॉ चंद्रशेखर यादव विवि पहुंचे. ये सभी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के निवासी हैं. एमसीएच ने डॉ चंद्रशेखर यादव का पंजीयन रद्द कर दिया है.
वहीं दो अन्य के आवेदन अस्वीकृत कर दिये गये हैं. इन लोगों ने कुलसचिव डॉ रत्नेश मिश्रा व लीगल ऑफिसर से मुलाकात की. विवि प्रशासन ने वादी सभी 20 डॉक्टरों के सर्टिफिकेट की जांच कर बॉम्बे हाइकोर्ट में शपथ पत्र देने का फैसला लिया है. गुरुवार से ही प्रमाण पत्रों की जांच शुरू कर दी गयी है. डीलिंग असिसटेंट से इस संबंध में संचिका उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. गौरतलब है कि सूबे के तमाम कॉलेज, जिनमें बीएचएमएस की पढ़ाई होती है, बीआरए बिहार विवि से संबद्ध हैं.

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