इसमें से कई ऐसे टैंक है. जिसका ढक्कन ऊपर से गायब है. इससे हवा में उड़ने वाला धूल-कण के साथ पशु-पक्षी भी खुला टैंक में गंदगी फैलाने का काम कर रहे है. प्लेटफॉर्म नंबर एक पर सीढ़ी के ठीक बगल में लगे टैंक के खुला होने के कारण उसमें सीढ़ी से चलने वाले लोग अगर गुटखा या पानी खाकर थूकते हैं, तो सीधा टैंक में ही जाकर थूक पड़ता है.
इसी तरह का हाल यार्ड के समीप सीढ़ी के बगल में लगे टैंक का है. हालांकि, बार-बार डीआरएम समेत मंडल के अधिकारियों का हो रहे निरीक्षण के कारण उक्त दोनों टंकी को ढ़क दिया गया है, लेकिन बगल में टंकी के ऊपर से बड़ा-बड़ा छेद है. जिससे पानी में बड़े ही आसानी से गंदगी फैल रहा है. इसी तरह का हाल कई अन्य टंकी का भी है. रेलवे के एक अधिकारी ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि ये जो टंकी लगा है. काफी पुराना हो चुका है. जब से टंकी लगाया गया है, तब से अब तक एक बार भी सफाई नहीं हुआ है. हालांकि, रेलवे अधिकारियों का दावा है कि प्लास्टिक के टंकी के पानी का उपयोग सिर्फ शौचालय या फिर ट्रेनों की धुलाई में ही होती है. पीने के लिए जो पानी सप्लाई होता है. उसके लिए जंकशन के आसपास कई बड़े-बड़े वाटर टावर खड़ा है.