खिलाड़ियों का पसंदीदा मैदान था ओरियंट क्लब

मुजफ्फरपुर: ओरियंट क्लब 1990 के आसपास तक खिलाड़ियों का पसंदीदा मैदान था. यहां पर खेल कर दर्जनों खिलाड़ियों को सरकारी विभागों में नौकरी मिली. हम भी इसी क्लब में खेल कर आगे बढ़े और बिजली विभाग में प्रशासनिक अधिकारी बने. यह कहते हुए एसके बोस यादों में खो जाते हैं. कहते हैं, पहले क्या था, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2013 10:00 AM

मुजफ्फरपुर: ओरियंट क्लब 1990 के आसपास तक खिलाड़ियों का पसंदीदा मैदान था. यहां पर खेल कर दर्जनों खिलाड़ियों को सरकारी विभागों में नौकरी मिली. हम भी इसी क्लब में खेल कर आगे बढ़े और बिजली विभाग में प्रशासनिक अधिकारी बने.

यह कहते हुए

एसके बोस यादों में खो जाते हैं. कहते हैं,

पहले क्या था, अब क्या हो गया. क्लब का ये हाल होगा. हम लोगों ने ऐसा सोचा भी नहीं था. इसी से हमें रोजी-रोटी मिली, जो मेरे जीवन का आधार बनी.

वह कहते हैं, क्लब को केवल मुजफ्फरपुर

ही नहीं बिहार की धरोहर के रूप में माना

जाता है. विद्युत बोर्ड, राज्य ट्रांसपोर्ट,

बिहार पुलिस में क्लब के मैदान में खेले खिलाड़ियों को नौकरी मिली, जब भी कोई खिलाड़ी यहां से
राज्य स्तरीय मैच खेलने जाता था. उसका नियुक्ति किसी न किसी सरकारी नौकरी में हो जाती थी, लेकिन अब खेल की गतिविधियां बंद हो गयीं. आसपास के बच्चे ही जो मैदान बचा है. उसमें खेलने आते हैं. बीते कुछ सालों में मुङो याद नहीं है, यहां से खेले किसी खिलाड़ी को नौकरी मिली है. एसके दास कहते हैं, 1964 में क्लब का गोल्डन जुबली मनाया गया था. बड़ा जलसा हुआ था. यहां पहले ग्रियर कप व मॉड कप जैसे टूर्नामेंट होते थे. समद व साहू मेवालाल जैसे खिलाड़ी भी इस मैदान पर खेल चुके हैं. अब तो मेरी जिलाधिकारी से मांग है. वह खुद इस मामले में हस्तक्षेप करें, ताकि क्लब की खोयी हुई गरिमा को फिर से बहाल किया जा सके.

खेल कोटे से इन्हें मिली नौकरी : शिशिर दास, अशोक दास, अरुण विकास बनर्जी, एएच ह्वीलर, ब्रह्मदेव, चंद्र देव कश्यप, मो जहांगीर, प्रदीप पाल, चंदन बागची, अरूप भट्टाचार्य, अली हुसैन मिर्जा, अमृत लाल, निशीत चटर्जी, प्रदीप चटर्जी, गोपाल राय, अंजन मुखर्जी आदि.

जनता दरबार में उठेगा मामला : ओरियंट क्लब का मामला डीएम अनुपम कुमार के जनता दरबार तक पहुंचेगा. उपाध्यक्ष एके पालित व एसके दास ने कहा, हम लोग इस मामले को लेकर अब चुप नहीं बैठेंगे. पहले डीएम के यहां गुहार लगायेंगे. अगर यहां नहीं सुनी गयी तो मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी गुहार लगायेंगे.

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