बुद्ध की शिक्षा की जगह कॉपी पर लिख दी अश्लील बातें
मुजफ्फरपुर: क्या कोई छात्र परीक्षा की कॉपी में अश्लील बातें लिख सकता है? इसका जवाब ज्यादातर तक लोग नहीं में देंगे, लेकिन बिहार विवि के बीए पार्ट-वन के एक छात्र ने ऐसा कारनामा किया है. इतिहास (सब्सिडियरी) के प्रश्न पत्र में सवाल पूछा गया था, बुद्ध की जीवनी व उनके उपदेश के बारे में, लेकिन […]
मुजफ्फरपुर: क्या कोई छात्र परीक्षा की कॉपी में अश्लील बातें लिख सकता है? इसका जवाब ज्यादातर तक लोग नहीं में देंगे, लेकिन बिहार विवि के बीए पार्ट-वन के एक छात्र ने ऐसा कारनामा किया है. इतिहास (सब्सिडियरी) के प्रश्न पत्र में सवाल पूछा गया था, बुद्ध की जीवनी व उनके उपदेश के बारे में, लेकिन उत्तर में उसने पुरुष व महिला के संबंधों की अश्लील व्याख्या कर डाली. शुक्रवार को कॉपी जांच के दौरान इसका खुलासा हुआ.
मामला पुलिस में देने की बात हुई, लेकिन यूनिवर्सिटी के अधिकारी इस बात को लेकर असमंजस में थे, क्या प्रावधान में ऐसे मामले को पुलिस में देने का जिक्र है या नहीं. इसके बाद यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने, छात्र को केवल शून्य (जीरो) नंबर देने की बात कही. आगे क्या कार्रवाई की जाये इस पर बात नहीं की.
जानकारी के मुताबिक, विश्वविद्यालय के परीक्षा हाल में शुक्रवार को बीए पार्ट-वन की कॉपियों की जांच हो रही थी. दिन में लगभग दो बजे रामेश्वर कॉलेज केंद्र में परीक्षा देनेवाले छात्र (रोल नंबर-462802) की कॉपी परीक्षक के सामने आयी. कॉपी में जो बातें लिखी थीं. उसे देख कर महिला परीक्षक सन्न रह गयीं. वह कुछ देर तक सोचती रहीं. इसके बाद उन्होंने इसकी जानकारी परीक्षा केंद्र के निदेशक डॉ शिवजी सिंह को दी. बात फैलते देर नहीं लगी, आसपास जितने भी परीक्षक थे. वह जुट गये और कॉपी में लिखी बातों को पढ़ने लगे. कॉपी में महिला-पुरुष के बारे में लगभग दो पेज अश्लील बातें लिखी थीं, जबकि प्रश्न था, गौतम बुद्ध के जीवन व शिक्षा के बारे में. परीक्षा केंद्र के अधिकारियों की ओर से इसकी जानकारी परीक्षा नियंत्रक डॉ अरुण कुमार सिंह को दी.
वह भी मौके पर पहुंचे. इसके बाद कॉपी में लिखी बातों के मामले में कार्रवाई किये जाने की बात उठी. इस पर परीक्षकों का कहना था, मामला पुलिस को दे दिया जाना चाहिए. इस पर विवि के अधिकारियों का कहना था, ये देखना पड़ेगा, यूनिवर्सिटी अधिनियम में इस तरह के मामले को पुलिस में देने की बात है या नहीं. इसके बाद बात हुई, छात्र की कॉपी में शून्य (जीरो) नंबर दे दिया जाये और मामले को छोड़ दिया जाये, लेकिन कुछ परीक्षकों का कहना था, ये मामला छात्र और उसकी मानसिक स्थिति से जुड़ा है. इसलिए ये सामने आना चाहिए, ताकि छात्रों को ये पता चले कि परीक्षक कॉपियों की जांच करते हैं. वह केवल नंबर देने का काम नहीं करते हैं. वहीं, परीक्षा नियंत्रक डॉ अरुण कुमार सिंह का कहना है, हमें इसके बारे में जानकारी नहीं है. मीडिया के जरिये ही ये सूचना मिली है.
ये बहुत गंभीर मामला है. यह मामला अगर विवि के पास आता है तो इस पर निश्चित रूप से कार्रवाई की जायेगी.
डॉ अजय कुमार श्रीवास्तव, कुलानुशासक, बिहार विवि