इंस्पेक्टर-दारोगा ने किया सरेंडर
मुजफ्फरपुर: युवक की हत्या के मामले में बरूराज के तत्कालीन थानाध्यक्ष अवधेश मिश्रा व जमादार नागेश्वर राय ने सोमवार को एसडीजीएम पश्चिमी एसके झा की कोर्ट में सरेंडर कर दिया. यहां से दोनों को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया. मामला 14 साल पुराना है. 2002 में बरूराज के अंडौल गांव में वीरेंद्र […]
मुजफ्फरपुर: युवक की हत्या के मामले में बरूराज के तत्कालीन थानाध्यक्ष अवधेश मिश्रा व जमादार नागेश्वर राय ने सोमवार को एसडीजीएम पश्चिमी एसके झा की कोर्ट में सरेंडर कर दिया. यहां से दोनों को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया. मामला 14 साल पुराना है. 2002 में बरूराज के अंडौल गांव में वीरेंद्र कुमार की पुलिस की पिटाई से मौके पर ही मौत हो गयी थी. इसकी प्राथमिकी मृतक के पिता हेमनारायण सिंह ने बरुराज थाने में दर्ज करायी थी. इसमें तत्कालीन थानाध्यक्ष अवधेश कुमार मिश्र, जमादार नागेश्वर राय, हवलदार व तीन सिपाहियों को आरोपित किया था.
हेमनारायण ने पुलिस को दिये बयान में कहा था कि 19 अक्तूबर 2002 की रात्रि करीब दो बजे थानाध्यक्ष अवधेश कुमार मिश्रा व जमादार नागेश्वर राय दरवाजे पर जीप से पहुंचे व आवाज लगायी. कहा, मैं थाना प्रभारी बरूराज बोल रहा हूं दरवाजा खोलाे, नहीं तो भविष्य बरबाद कर देंगे. आवाज सुनकर मैंने दरवाजा खोला, वे लोग कमरे में घुस गये. इसी बीच शोर सुनकर वीरेंद्र कमरे से बाहर आया तो उक्त लोगों ने उसे पकड़ िलया और पिटाई करने लगे. खुद को बचाने के िलए वीरेंद्र गुहार लगा रहा था, लेिकन उस पर बंदूक के बट से वार िकये जा रहे थे. मौके पर ग्रामीण भी जुटे लेिकन उन्हें िसपाहियों ने रोक िदया. आरोपित उसे खींचकर बाहर ले गये. वह काफी गिड़गिड़ाया, आरोपित बंदूक से सीने व पीठ पर लगातार वार करने लगे. उसे खींचकर घर के बगल में ले जाकर बेरहमी से पीटने लगे. वीरेंद्र की आवाज सुन कर ग्रामीण मौके पर जुटे, लेकिन सिपाहियों ने उन्हें रोक लिया. कुछ देर बाद आरोपित गाड़ी पर बैठे और चले गये. मैंने जाकर देखा तो वीरेंद्र की मौत हो चुकी थी.
सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत. हाइकोर्ट से राहत नहीं िमलने के बाद दोनों अिधकािरयों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेिकन वहां से भी दोनों को राहत नहीं िमली, अंत में नीचली कोर्ट में दोनों को आत्मसमर्पण करना पड़ा.
हुई थी बचाने की कोशिश
वीरेंद्र की मौत के मामले के आरोिपत दोनों अिधकािरयों को बचाने की कोिशश हुई थी. जांच अिधकारी ने इसे तथ्य में भूल करार िदया था. इसके बाद कोर्ट ने पोस्टमार्टम िरपोर्ट मांगी, लेिकन िरपोर्ट नहीं जमा की गयी. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए दोनों आरोपितों के विरोध में 11 नवंबर 2011 काे संज्ञान लिया. इसके बाद सम्मन जारी किया. आरोपित जब उपस्थित नहीं हुए तो दोनों के विरुद्ध कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया.