मुजफ्फरपुर : नवरुणा मामले में सीबीआइ की जांच की गति को लेकर अभिषेक रंजन व स्टूडेंट फॉरम के सदस्यों ने अधिवक्ता राजन कुमार चौरसिया के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का आवेदन दिया है. जिसमें सीबीआइ के जोनल अधिकारी अमरेंद्र कुमार सिंह को पार्टी बनाया है. कोर्ट ने 28 मार्च को मामले में सुनवाई की तिथि निर्धारित की है. जिससे एक बार फिर नवरुणा मामला चर्चा में आ गया है. आवेदन में सीबीआइ की जांच को हर पहलू पर सवाल खड़ा किया गया है.
डीएनए टेस्ट से लेकर कंकाल की खापड़ी के गायब होने व डीएनए रिपोर्ट मांगे जाने के बाद भी मुहैया नहीं कराने को भी आधार बनाया गया है. सवाल यह भी उठाया गया है कि यदि कंकाल नवरुणा का है तो अवशेष उन्हें दे दिया जाय, ताकि हिंदू विधि विधान से उसका संस्कार किया जाय. अब तक केस को नहीं सुलझा जाने व अपराधियों को नहीं पकड़े जाने जैसे कई सवाल उठाये गये है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट से केस की मॉर्निट्रिंग करने की मांग की गयी है.
18 सिंतबर 2012 को हुआ था नवरुणा का अपहरण. 18 सितंबर 2012 को नवरुणा का अपहरण जवाहरलाल रोड स्थित उसके घर से हुआ था. घटना के बाद नगर थाना प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. इसके बाद 15 जनवरी 2013 को इसकी जांच सीआइडी ने शुरू की. पुलिस व सीआइडी के जांच से असुंष्ट अभिषेक रंजन व चार अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में सीबीआइ जांच के लिये याचिका दायर किया. 25 नवंबर 2013 को कोर्ट में सीबीआइ जांच का आदेश दिया. 14 फरवरी 2013 को सीबीआइ ने मामले में प्राथमिकी दर्ज की.
इसके बाद 18 फरवरी 2014 को सीबीआइ की टीम जांच करने नवरुणा के घर पहुंची. इस दौरान सीबीआइ ने दो दर्जन से अधिक लोगों से पूछताछ की. करीब एक दर्जन लोगों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराया. करीब 25 माह से सीबीआइ मामले की जांच कर रही है. लेकिन अब तक किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पायी है.