मन भींग गया, शब्द बिखर गयेआचार्य की पुत्री शैलबाला से बात कर भावुक हुईं राज्यपाल मृदुला सिन्हावरीय संवाददाता 4 मुजफ्फरपुर गोवा की राज्यपाल डॉ मृदुला सिन्हा ने कहा कि आज मुझे शैलबाला दीदी ने बताया कि बाबूजी उन्हें हमेशा याद करते थे. अक्सर कहा करते थे कि काश मेरी बेटी होती. मैं हर तीसरे-चौथे महीने यहां आकर उनसे मिलती थी. उनको देखकर मेरे मन में भी पिता का भाव आता था. शैलबाला दीदी से यह सुनकर मन भींग गया, शब्द बिखर गये, अब क्या बोलूं. डॉ सिन्हा ने कहा कि यहां आकर मन हमेशा भींगता रहा है. एक बार उन्होंने अपना जीवन वृत्तांत मुझे सुनाया था. मैं पति के साथ यहां उनसे मिलने आयी थी. वे काफी देर तक हमलोगों को अपने बारे में सुनाते रहे. कहां-कहां उनकी अवहेलना हुई है. सब कुछ बताया. फिर बाले आप लोगों को देख कर मैं क्यों बक-बक करने लगा, समझ में नहीं आया. आचार्य का साहित्य बहुत ऊपर था. हमलोग जो लिखते हैं, उससे कहीं ऊपर. एक बार मैं यहां परिसर में लगी मूर्ति पर बिना ध्यान दिये उनके पास चली आयी. वे मुझे आते हुए देख रहे थे. उन्होंने मुझे बहुत डांटा. कहा, जाइये पहले पिता की मूर्ति को प्रणाम करके आइये. यह हमारा सौभाग्य था.
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मन भींग गया, शब्द बिखर गये
मन भींग गया, शब्द बिखर गयेआचार्य की पुत्री शैलबाला से बात कर भावुक हुईं राज्यपाल मृदुला सिन्हावरीय संवाददाता 4 मुजफ्फरपुर गोवा की राज्यपाल डॉ मृदुला सिन्हा ने कहा कि आज मुझे शैलबाला दीदी ने बताया कि बाबूजी उन्हें हमेशा याद करते थे. अक्सर कहा करते थे कि काश मेरी बेटी होती. मैं हर तीसरे-चौथे महीने […]
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