कोलकाता में होगी कौवों की मौत की जांच कौवों की मौत का मामला: – स्पेशल मैसेंजर से भेजे गये कौवे व पानी का सैंपल – मुंह से निकला था झाग, जहर से मौत की आशंका संवाददाता 4 मुजफ्फरपुर मोतीपुर के लीची बगान में कौवों की मौत का राज कोलकाता के बेलगाछिया स्थित रिसर्च डिजीज डाइग्नोस्टिक लेबोरेटरी में खुलेगा. गुरुवार को मंडलीय पशु अस्पताल के वेटनरी सर्जन डॉ आरएन चौधरी ने दो मृत कौवों के साथ ही घटनास्थल के पास स्थित पोखरे व नदी के पानी का सैंपल जांच के लिए स्पेशल मैसेंजर से कोलकाता भिजवाया. वहां से रिपोर्ट आने के बाद ही प्रशासन या पशुपालन विभाग इस विषय में कुछ बता सकेगा. हालांकि ग्रामीणों ने बताया कि कौवों के मुंह से झाग निकल रहा था. इस आधार पर जहर से इनकी मौत होने की आशंका जतायी जा रही है. बुधवार को मोतीपुर के बरजी निवासी राजेश्वर ओझा के लीची बगान में करीब 200 कौवों की मौत हो गयी थी. इससे महामारी की आशंका को लेकर लोग सहमे हुए हैं. वन विभाग ने किया था लीपापोती का प्रायस कौवों की मौत को लेकर आसपास के लोगों की जहां सांस अटकी है, वहीं वन विभाग ने मामले की लीपापोती का प्रयास किया था. बुधवार को वन विभाग के अधिकारियों को सूचना दी गयी थी, लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. ग्रामीणों ने बताया कि गुरुवार की दोपहर वन विभाग के कर्मचारी पहुंचे और कौवों को इकठ्ठा कर मिट्टी में गाड़ दिया. दाेपहर करीब साढ़े 12 बजे पर्यावरणविद सुरेश गुप्ता मौके पर पहुंचे और छानबीन शुरू की तो काफी देर बाद दो मृत कौवे मिले. इसके बाद उन्होंने वन विभाग के रेंजर व डीएफओ से बात करने का काफी प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली. प्रशिक्षु आइएएस ने ली हालात की जानकारी वन विभाग के अधिकारियों से बात करने में सफलता नहीं मिली तो पर्यावरणविद श्री गुप्ता ने डीपीआरओ से बात की. इसके बाद कुछ देर में ही डीपीआरओ के साथ प्रशिक्षु आइएएस डॉ आदित्य प्रकाश मौके पर पहुंचे और किसानों व ग्रामीणों से बात कर हालात की जानकारी ली. अधिकारियों ने आसपास के करीब 10 एकड़ क्षेत्र में घूमकर स्थिति का जायजा लिया. बगीचे में कीटनाशक के छिड़काव के बारे में भी किसानों ने पूछताछ की गयी, लेकिन सभी ने इनकार कर दिया. पटना में नहीं है जांच की व्यवस्था मुजफ्फरपुर ही नहीं, राजधानी पटना में भी ऐसी व्यवस्था नहीं है जिससे कौवों के मौत की जानकारी मिल सके. मोतीपुर से मृत कौवे व पानी का सैंपल लेकर जांच के लिए मंडलीय वेटनरी अस्पताल चंदवारा लाया गया. वेटनरी सर्जन डॉ आरएन चौधरी ने संसाधन के अभाव की बात कहते हुए अपने स्तर से पूर्ण सहयोग का भरोसा दिलाया. उन्होंने पटना के एलआरएस डाइरेक्टर डॉ ब्रह्मचारी से बात करायी तो उन्होंने इनकार कर दिया. इसके बाद मृत कौवों को जांच के लिए कोलकाता भेजा गया. चार साल पहले भी हो चुकी है घटना वर्ष 2012 में भी पटना व जमशेदपुर में भी बड़ी संख्या में कौवों की मौत हुयी थी. प्रशासन के साथ ही वन विभाग व पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, लिहाजा मौत की वजह सामने नहीं सकी. कुछ दिनों बाद अन्य बड़ी घटनाओं की तरह उसको भी लोग भूल गये. मोतीपुर में हुयी घटना के पटाक्षेप की भी पूरी तैयारी कर ली गयी थी. वन विभाग के अधिकारियों के दिलचस्पी नहीं दिखाने के कारण शुरुआती जांच में ही घंटों की देर हुयी. बोले पर्यावरणविद: नहीं संभले तो होगा गंभीर परिणाम इस तरह अगर कौवों की मौत हुयी तो पर्यावरण संतुलन बिगड़ने की आशंका बढ़ जायेगी. सरकार को इस पर गंभीरता दिखाते हुए कार्रवाई करनी चाहिए. वैसे जांच के बाद ही कौवों के मौत की वजह सामने आयेगी, लेकिन यह सबके लिए एक चेतावनी है. घटनास्थल के आसपास अन्य किसी जीव की मौत नहीं हुयी है. पोखरे की मछलियां भी सुरक्षित हैं, जिससे पानी के जहरीले होने की आशंका कम हो जाती है. किसान पेड़ों पर कीटनाशक छिड़कने की बात से भी इनकार कर रहे हैं. ऐसे में यह मामला काफी गंभीर हो जाता है. सुरेश गुप्ता, पर्यावरणविद्
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कोलकाता में होगी कौवों की मौत की जांच
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