आज से अनशन पर बैठेंगे नवरुणा के परिजन

मुजफ्फरपुर: 15 माह भी नवरुणा का सुराग नहीं मिलने पर अब उसके परिजनों ने अनशन पर बैठने का फैसला लिया है. गुरुवार से नवरुणा की मां मैत्री चक्रवर्ती व पिता अतुल्य चक्रवर्ती नगर थाने में अनशन पर बैठेंगे. अतुल्य का कहना है कि उनकी पत्नी नवरुणा के मिलने तक अनशन पर रहेगी. वहीं, वे भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 2, 2014 10:03 AM

मुजफ्फरपुर: 15 माह भी नवरुणा का सुराग नहीं मिलने पर अब उसके परिजनों ने अनशन पर बैठने का फैसला लिया है. गुरुवार से नवरुणा की मां मैत्री चक्रवर्ती व पिता अतुल्य चक्रवर्ती नगर थाने में अनशन पर बैठेंगे. अतुल्य का कहना है कि उनकी पत्नी नवरुणा के मिलने तक अनशन पर रहेगी.

वहीं, वे भी समर्थन में रहेंगे. जांच से जुड़े सभी पुलिस पदाधिकारियों को दोषी ठहराते हुए अतुल्य चक्रवर्ती ने नवरुणा कांड के प्रथम आइओ अमित कुमार (वर्तमान पानापुर ओपी अध्यक्ष) का नार्को टेस्ट कराने की मांग की.

उनका मानना है कि नार्को टेस्ट से सारी सच्चई से परदा उठ जायेगा. वह नवरुणा के बारे में सब कुछ जानता है. उन्होंने कहा कि नवरुणा कांड की साढ़े तीन माह नगर पुलिस व साढ़े आठ माह सीआइडी ने जांच की, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला. सीआइडी के अधिकारी जांच के बदले जमीन मापने के लिए इंजीनियरों के साथ आये थे. मना करने पर खुद से मापने को कहा. सीआइडी के अधिकारियों का कहना था कि वे वरीय अधिकारी के निर्देश पर ये कर रहे हैं. गृह सचिव ने तीन दिन पूर्व बात हुई थी, उनसे सवाल किया गया कि वर्तमान में नवरुणा मामले की जांच कौन कर रहा है. इस पर उन्होंने कहा कि आप फिर से आवेदन दीजिए. अतुल्य ने जांच से जुड़े व जिले में घटना के समय तैनात पुलिस के वरीय अधिकारियों पर भी अंगुली उठायी.

यह था मामला : 18 सितंबर 2012 की रात्रि चक्रवर्ती लेन से नवरुणा को अपहरण कर लिया गया था. घटना के 11 माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी नगर पुलिस व सीआइडी कोई सुराग नहीं लगा पायी थी. वहीं, 26 नवंबर 2012 को नवरुणा के घर के पास स्थित नाले से कंकाल बरामदगी के बाद इस घटना में नया मोड़ आ गया था. फोरेंसिक जांच में कंकाल लड़की का बताया गया था. वहीं, कंकाल की उम्र 13 से 15 वर्ष आंकी गयी थी. कंकाल की पहचान के लिए पुलिस ने नवरुणा के पिता अतुल्य चक्रवर्ती से ब्लड सैंपल देने का आग्रह किया था.

लेकिन वे बिना सीबीआइ जांच के इस केस में सहयोग करने के लिए तैयार नहीं थे. तत्कालीन एडीजी गुप्तेश्वर पांडेय ने तीन दिसंबर को पूरे मामले की जांच सीआइडी से कराने के लिए पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखा था. मुख्यालय से हरी झंडी मिलने के बाद डीएसपी अशफाक अंसारी को जांच की कमान सौंपी गयी थी. डीएसपी ने जेल में बंद अभियुक्त से लेकर प्रोपर्टी डीलर से भी पूछताछ की थी, लेकिन यह गुत्थी सुलझ नहीं पायी थी. नवरुणा की बरामदगी को लेकर लॉ के छात्र अभिषेक रंजन ने सुप्रीम कोर्ट में पीआइएल दायर की थी. राज्य सरकार ने भी नवरुणा कांड की सीबीआइ जांच की अनुशंसा की थी, लेकिन 5 दिसंबर को भारत सरकार के डीओपीटी के उप सचिव राजीव जैन ने बिहार सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर सीबीआइ के जांच से इनकार करने की जानकारी दी थी.

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