सड़क बने तवा, घर बने तंदूर!

सड़क बने तवा, घर बने तंदूर!फोटो : दीपक बेरहम मौसम : – मौसम का तेवर तल्ख, पारा पहुंचा 42 पर – पछुआ हवा ने और बढ़ाई लोगों की मुश्किलें- दिन भर सड़कों पर पसरा रहा सन्नाटा – शाम को बाजार में खरीददारी को जुटी भीड़ संवाददाता 4 मुजफ्फरपुर मौसम का मिजाज दिनों-दिन तल्ख होता जा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2016 12:00 AM

सड़क बने तवा, घर बने तंदूर!फोटो : दीपक बेरहम मौसम : – मौसम का तेवर तल्ख, पारा पहुंचा 42 पर – पछुआ हवा ने और बढ़ाई लोगों की मुश्किलें- दिन भर सड़कों पर पसरा रहा सन्नाटा – शाम को बाजार में खरीददारी को जुटी भीड़ संवाददाता 4 मुजफ्फरपुर मौसम का मिजाज दिनों-दिन तल्ख होता जा रहा है. शुक्रवार को पारा 42 डिग्री तक पहुंच गया, जबकि न्यूनतम तापमान 24 डिग्री पर था. सूर्य की किरणें दोपहर में जब आसमान से आग उगलने लगीं तो सड़कें भी तवा की तरह जल रही थी. घर में भी गरमी से सुकून नहीं मिला. दीवारें आग फेंक रही थीं. वैसे तो सुबह से ही मौसम का मिजाज बेरहम हाे जा रहा है, लेकिन दिन चढ़ने के साथ लोगों की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही है. पछुआ हवा के चलते लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है. गरमी व उमस से जन-जीवन बेहाल है. शुक्रवार को दिन में आमतौर पर ठसाठस भरे रहने वाले बाजार खाली दिखे. सरैयागंज, मोतीझील, कल्याणी के आस-पास रोज की तरह दिन में चहल-पहल नहीं थी. बहुत जरूरी होने पर लोग बाजार में पहुंचे भी तो गरमी से बचाव का पूरा इंतजाम करके ही. वहीं सड़कों पर कुछ घंटों के लिये सन्नाटा छाया रहा. इक्का-दुक्का लोग ही दिखायी दिये. हालांकि घरों में भी सुकून नहीं है. जिन घरों पर सीधे सूर्य की किरणें पड़ती है, उनमें रहना काफी मुश्किल हो जाता है. हद तो यह है कि दोपहर में पंखे की हवा भी आग फेंकती है. हां, जिनके यहां एसी या कूलर है, उनको गरमी से राहत मिल रही है. छांव की तलाश में भटकते रहे लोग दोपहर में सिर पर चिलचिलाती धूप आयी तो लोग छांव की तलाश में भटकते रहे. दूर-दराज के गांवों से आये लोग समाहरणालय के पास पेड़ों की छांव में आराम करते दिखे. कुछ लोग जमीन पर ही गमछा बिछाकर सो गये थे. वहीं कंपनी बाग के पास कई रिक्से वाले भी सड़क किनारे सोते रहे. तेज गरमी के चलते दोपहर में सवारी ले जाने से भी इनकार कर दिया, जिससे लोगों को परेशानियां भी हुईं. सत्तू की लस्सी व खीरा-ककड़ी की डिमांड गरमी के चलते लोगों ने खान-पान का तरीका भी बदल दिया है. अब ऐसी चीजों की बिक्री बढ़ी है जो राहत दे. खासकर सत्तू की लस्सी व खीरा-ककड़ी की बिक्री खूब हो रही है. जगह-जगह जहां सत्तू की दुकानें ठेला पर सज रही है, वहीं शहर में ठेला पर खीरा-ककड़ी लेकर लोग गली-मुहल्लों में भी घूमने लगे हैं. वैसे सुबह से ही सत्तू का ठेला सज जा रहे हैं. कई लोग चाय के बदले सुबह में सत्तू की लस्सी का ही सेवन करते हैं.

Next Article

Exit mobile version