सूरत-ए-हाल: भुगतान व वेतनमान को लेकर जताई आपत्ति, एमएसकेबी कॉलेज में तीन करोड़ की गड़बड़ी

मुजफ्फरपुर: एमएसकेबी कॉलेज में वेतनमान व भुगतान में गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आया है. करीब तीन करोड़ से अधिक की राशि की गड़बड़ी की बात आयी है. सीएजी की आॅडिट रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. इस पर शिक्षा विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने बीआरए बिहार विवि से जवाब मांगा है. कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 12, 2016 8:44 AM
मुजफ्फरपुर: एमएसकेबी कॉलेज में वेतनमान व भुगतान में गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आया है. करीब तीन करोड़ से अधिक की राशि की गड़बड़ी की बात आयी है. सीएजी की आॅडिट रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. इस पर शिक्षा विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने बीआरए बिहार विवि से जवाब मांगा है. कहा है कि अगर जवाब नहीं मिलता है तो मामले को सही माना जायेगा. इस मामले में विवि अपने जवाब देने की तैयारी में जुट गयी है.
विवि सूत्रों की मानें तो एमएसकेबी कॉलेज में एक जनवरी 1973 को शिक्षकों का पद स्वीकृत होना था. लेकिन कॉलेज ने 22 अगस्त 1983 को शिक्षकों का पद स्वीकृत किया. इसमें 12 ऐसे शिक्षक थे, जिनको नन टीचिंग के बदले टीचिंग का लाभ देते गये. इनमें पांच शिक्षक रिटायर भी हो चुके हैं. इनका उसी आधार पर काॅलेज प्रमोशन भी करता गया और वेतनमान सहित एरियर का लाभ भी देता गया. इस पर सीएजी की टीम ने आॅडिट शुरू किया तो पता चला कि जो भी वेतनमान सहित अन्य भुगतान हुए हैं उसमें कॉलेज व विवि ने भारी गड़बड़ी की है. इस मामले को सीएजी ने शिक्षा विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को सौंप दिया है. इस पर उन्होंने विवि को पत्र भेजकर सवाल पूछा है. साथ ही इस मामले में राजभवन से भी विवि को एक पत्र आया है. सूत्रों की मानें तो एक-एक शिक्षकों पर करीब 45-50 लाख रुपये का गोलमाल का मामला बन रहा है. फिलहाल विवि के पदाधिकारी इस मामले में चुप्पी साधे हुए है.
पीजी फर्स्ट सेमेस्टर के छात्रों की प्रायोगिक परीक्षाएं 12 अप्रैल से
पीजी फर्स्ट सेमेस्टर के जिन छात्र-छात्राओं की प्रायोगिक परीक्षा छूट गयी थी, वैसे छात्र-छात्राओं की परीक्षा 12 अप्रैल से लेकर 21 अप्रैल के बीच होगी. विवि सहित कॉलेजों के छात्र-छात्रायें इसके लिए अपने-अपने विभागाध्यक्ष से मिलेंगे. यह जानकारी प्रॉक्टर डॉ सतीश कुमार राय ने दी. बताया कि शुल्क परीक्षा छात्र-छात्राओं से लिया जायेगा.

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