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प्राकृतिक चिकित्सा गृह का होगा कायाकल्प

मुजफ्फरपुर: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पहल पर सर्वोदय ग्राम, कन्हौली में तत्कालीन कांग्रेसियों द्वारा 1946 में स्थापित सार्वजनिक प्राकृतिक चिकित्सा गृह के जीर्णोद्धार की जल्द ही योजना बनायी जायेगी. धूल फांक रहे इस संस्थान की खबर ‘प्रभात खबर’ में मंगलवार को छपने के बाद नगर विधायक सुरेश शर्मा ने निरीक्षण किया. वे इस संस्थान के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 8, 2014 9:44 AM

मुजफ्फरपुर: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पहल पर सर्वोदय ग्राम, कन्हौली में तत्कालीन कांग्रेसियों द्वारा 1946 में स्थापित सार्वजनिक प्राकृतिक चिकित्सा गृह के जीर्णोद्धार की जल्द ही योजना बनायी जायेगी. धूल फांक रहे इस संस्थान की खबर ‘प्रभात खबर’ में मंगलवार को छपने के बाद नगर विधायक सुरेश शर्मा ने निरीक्षण किया. वे इस संस्थान के सचिव भी हैं. निरीक्षण के दौरान उन्होंने चिकित्सा गृह के एक-एक कमरे के अलावा भाप स्नान घर, कटि स्नान घर, एनीमा घर आदि के जजर्र हालात से रू-ब-रू हुए. साथ ही संस्थान के अब तक लगान निर्धारित नहीं होने की जानकारी मिलने पर इसे गंभीरता से लेते हुए मुसहरी के अंचलाधिकारी को अविलंब कार्रवाई करने का निर्देश दिया. इसके लिए उन्हें तत्काल पत्र भी लिखा गया.

निरीक्षण के दौरान विधायक श्री शर्मा ने कहा कि यह चिकित्सालय उत्तर बिहार का अकेला संस्थान है जहां प्राचीन प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति (नेचुरोपैथ)से लोगों का बिना दवा सूई के इलाज किया जाता है. कभी इसकी तूती बोलती थी. आज वह स्थिति नहीं है. इसके जीर्णोद्धार के लिए लगभग एक करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार कर विधानसभा में गैर सरकारी विकल्प के तहत 2011 में दो-दो बार सवाल उठाये थे. सरकार ने जिलाधिकारी से जांच रिपोर्ट मांगी जो गलत दे दी गयी. रिपोर्ट में इसे निजी संस्थान बता दिया गया. जबकि यह सार्वजनिक संस्थान है. सरकार ने प्रोजेक्ट को खारिज कर दिया.

जल्द ही कमेटी का पुनर्गठन कर इसमें बतौर संरक्षक प्रमंडलीय आयुक्त, जिलाधिकारी या अन्य पदाधिकारी को भी जोड़ा जायेगा. निरीक्षण के दौरान सार्वजनिक प्राकृतिक चिकित्सा गृह के व्यवस्थापक कृष्ण मुरारी प्रसाद सिन्हा, चिकित्सक डॉ. प्रदीप कुमार झा के अलावा अन्य कर्मचारी भी मौजूद थे.

63 साल का लगान बकाया
सार्वजनिक प्राकृतिक चिकित्सा गृह 18 कट्ठे जमीन में अवस्थित है. इसका होल्डिंग टैक्स तो जमा होता है. मगर, जब से संस्थान खुला, तब से आज तक यानी 63 साल से इसका लगान जमा नहीं हो सका है. बताया जाता है कि अब तक इसका लगान निर्धारित भी नहीं हुआ. इस संस्थान की 7 कट्ठे जमीन समाजसेवी कौशल सहाय द्वारा दान की गयी थी. वहीं अन्य जमीन खरीदी गई. रोड साइड से इसकी जमीन में लगभग एक दर्जन व्यवसायिक दुकान किराये पर है.

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