मुजफ्फरपुर: हत्या व अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम मामले की सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश डॉ राकेश कुमार ने दोषी पाते हुए मीठनपुरा थाना क्षेत्र के धीरन छपड़ा निवासी लांगर मिया उर्फ हदीश मिया को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास एवं 35 हजार अर्थदंड की सजा सुनाया है. साथ अर्थदंड की राशि को मृतक की मां को देने का आदेश दिया है. एवं बिहार पीड़िता सहायता राशि के लिए न्यायालय ने जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव को अनुशंसा किया है.
विदित हो कि मीठनपुरा थाना क्षेत्र के धीरन छपरा गांव में प्रदीप पासवान (15) की पीट-पीट कर हत्या कर शव काे लीची के पेड़ से लटका दिया गया था. घटना की प्राथमिकी मृतक के भाई कमलेश पासवान के बयान पर मीठनपुरा थाना कांड संख्या 19/2015 ग्रामीण लांगर मिया उसकी पत्नी जमीला खातून, पुत्र अशरफ एवं उसके नाती के विरूद्ध दर्ज हुआ था. प्रदीप पासवान चार फरवरी 2015 को मवेशी चराने घर के पीछे गया था जहां आरोपी हदीश मिया का 12 वर्षीय नाती भी था. मवेशी चराने के दौरान हदीश का फसल मवेशी चर गया. इस पर हदीश और उसका नाती झगड़ा करने लगे.
झगड़ा करने के दौरान प्रदीप का पैर हदीश के चप्पल पर पड़ गया. और उसके चप्पल का फीता टूट गया. इसी बात को लेकर हदीश मिया की पत्नी जमीला खातून दरवाजे पर आकर जाति सूचक गाली गलौज करने लगी. 10 मिनट बाद हदीश मिया आया और प्रदीप को
बुलाकर ले गया कि चप्पल सिला दो. प्रदीप उसके साथ गया. इसके बाद आरोपी श्यामनंदन सहाय कॉलेज के पास लीची गाछी में ले जाकर पीट-पीट कर हत्या कर दी. साथ ही उसके शव को लीची के पेड़ से टांग दिया. मीठनपुरा पुलिस ने हदीश मिया के विरूद्ध चार मई 2015 को न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित किया था. वही अन्य आराेपियों के विरूद्ध अनुसंधान जारी कर रखा था.