दावेदारी के लिए दौड़ रहे अनौपचारिक शिक्षाकर्मी
मुजफ्फरपुर : अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशक के रूप में काम कर चुके शिक्षाकर्मियों की चतुर्थ वर्ग में बहाली की घोषणा के बाद दावेदारी के लिए होड़ लगी है. बहाली के लिए शिक्षा विभाग ने रोस्टर जारी कर दिया है. 16 मई तक अनौपचारिक शिक्षाकर्मियों को दावा प्रस्तुत करने का मौका दिया गया है. इसमें हाईकोर्ट से […]
मुजफ्फरपुर : अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशक के रूप में काम कर चुके शिक्षाकर्मियों की चतुर्थ वर्ग में बहाली की घोषणा के बाद दावेदारी के लिए होड़ लगी है. बहाली के लिए शिक्षा विभाग ने रोस्टर जारी कर दिया है. 16 मई तक अनौपचारिक शिक्षाकर्मियों को दावा प्रस्तुत करने का मौका दिया गया है. इसमें हाईकोर्ट से मिली सूची के साथ ही उन लोगों को भी आवेदन देने की छूट मिली है, जिनके पास अनौपचारिक शिक्षाकर्मी के तौर पर तीन साल तक काम करने का अनुभव व उससे संबंधित रिकॉर्ड है.
अनौपचारिक शिक्षा 1999 में बंद हो गयी. अनौपचारिक शिक्षाकर्मी के रूप में काम करने वाले लंबे समय से नौकरी की मांग कर रहे थे. मामला हाईकोर्ट में भी चला गया. इस बीच सरकार ने उन्हें चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के रूप में बहाल करने की घोषणा कर दी. साथ ही विभाग को बहाली का रोस्टर जारी कर प्रक्रिया पूरी करने को कहा गया. इसके लिए जिला स्तर पर डीइओ की अध्यक्षता में चार सदस्यों वाली कमेटी भी बनायी गयी है.
कमेटी ने 16 मई तक आवेदन जमा करने का समय निर्धारित किया है. दरअसल, हाईकोर्ट से 139 अनौपचारिक शिक्षाकर्मियों की सूची मिली है. इसके अलावा अन्य लोग भी दावा कर सकते हैं, जिनके पास काम करने का अनुभव व रिकॉर्ड हो. विभाग का कहना है कि जो लोग 31 मार्च 2001 तक कार्यरत रहे हैं, उनको ही इसका लाभ मिलेगा.
फरजी कागजात बनाने को खोजे जा रहे पुराने अधिकारी
शिक्षा विभाग में डेढ़ दशक पहले कार्यरत रहे अधिकारियों की अचानक डिमांड बढ़ गयी है. विभाग के ही लोगों का कहना है कि अनौपचारिक शिक्षाकर्मियों से संबंधित कोई रिकॉर्ड नहीं है. जो तीन साल तक काम किया है, उसे चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के पद पर बहाल किया जाना है. ऐसे में कुछ लोग फरजी कागजात तैयार कराने के लिए पुराने बीइओ को तलाश रहे हैं. कहा जा रहा है कि जिस तरह की स्थिति बन रही है उसमें असली और फरजी की पहचान काफी मुश्किल हो जायेगी.