बिना लाइसेंस सदर अस्पताल को आइएसओ का दर्जा

मुजफ्फरपुर: सदर अस्पताल के पास इलाज का लाइसेंस नहीं है, लेकिन उसे आइएसओ का दर्जा प्राप्त है. दो वर्ष पहले अस्पताल को बेहतर इलाज के लिए आइएसओ मानक का माना गया था. यह दर्जा इस वर्ष भी बरकरार है. दिल्ली से आयी टीम ने जांच कर इसे आइएसओ के मापदंड के अनुसार माना था. हैरत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 12, 2016 10:01 AM
मुजफ्फरपुर: सदर अस्पताल के पास इलाज का लाइसेंस नहीं है, लेकिन उसे आइएसओ का दर्जा प्राप्त है. दो वर्ष पहले अस्पताल को बेहतर इलाज के लिए आइएसओ मानक का माना गया था. यह दर्जा इस वर्ष भी बरकरार है. दिल्ली से आयी टीम ने जांच कर इसे आइएसओ के मापदंड के अनुसार माना था. हैरत की बात यह है कि इस दरजा के लिए लाइसेंस होना अनिवार्य है, लेकिन जांच के समय रोगी कल्याण समिति का निबंधन प्रस्तुत कर आइएसओ का दावा प्रस्तुत किया गया था. इसका खुलासा तब हुआ जब नये क्लीनिकल एक्ट के तहत स्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी निदेशक ने अस्पताल के निबंधन व जमीन के कागजात की मांग की.
जमीन के कागजात बिना लाइसेंस नहीं : नियम के अनुसार जमीन के कागजात या किरायानामा के बिना अस्पताल व नर्सिंग होम को लाइसेंस देने का प्रावधान नहीं है.

कार्यकारी निदेशक के पत्र के बाद अस्पताल में जमीन के कागजात की खोज शुरू हुई, लेकिन वो नहीं मिला. आनन-फानन में अस्पताल से एक विशेष दूत को खेसरा नंबर के लिए जिला रिकॉर्ड रूम भेजा गया. खेसरा नंबर मिलते ही सिविल सर्जन डॉ ललिता सिंह अस्पताल का लाइसेंस जारी करेंगी. जानकारी हो कि जिला अस्पताल की 22 बिगहा जमीन है, लेकिन उसका कोई कागजात विभाग के पास नहीं है.

सभी पीएचसी को भेजा गया पत्र
स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी पीएचसी को निबंधन कराने के लिए पत्र भेजा गया है. इसके लिए उन्हें जमीन का ब्योरा भी देना है. विभागीय सूत्रों की मानें तो इस ओर किसी का ध्यान नहीं था. नर्सिंग होम, क्लीनिक व सोनोग्राफी सेंटरों का निबंधन तो किया जाता था, लेकिन अस्पताल का ही निबंधन नहीं था.
कार्यकारी निदेशक के निर्देश के अनुसार जिला अस्पताल, पीएचसी व एपीएचसी का निबंधन किया जाना है. जल्द ही इसे पूरा कर मुख्यालय भेज दिया जायेगा.
डॉ एनके चौधरी, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल

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