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547 दिन में सुनाया 2200 मामलों का फैसला

मुजफ्फरपुर : तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त अतुल प्रसाद ने डेढ़ साल के कार्यकाल में 2200 मामले को सुलझा कर मिसाल कायम की है. तिरहुत राज्य का पहला प्रमंडल बना है, जहां कमिश्नर कोर्ट के फैसले ऑनलाइन कर दिये गये हैं. इसे प्रमंडल की वेबसाइट पर देखा जा सकता है. केस से संबंधित रिकॉर्ड को सुरक्षित […]

मुजफ्फरपुर : तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त अतुल प्रसाद ने डेढ़ साल के कार्यकाल में 2200 मामले को सुलझा कर मिसाल कायम की है. तिरहुत राज्य का पहला प्रमंडल बना है, जहां कमिश्नर कोर्ट के फैसले ऑनलाइन कर दिये गये हैं. इसे प्रमंडल की वेबसाइट पर देखा जा सकता है. केस से संबंधित रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने के लिए विशेष इंतजाम किये गये हैं.

सभी कागजात को स्कैन कर कंप्यूटर में अपलोड कर दिया गया है. तीन जगह बैकअप बनाया गया है, ताकि एक बैकअप फेल होने पर दूसरे व तीसरे से कागजात को रिकवर किया जा सके. कमिश्नर कोर्ट में वर्तमान में वेटिंग केस की स्थिति शून्य है. 15 मामलों को ऑर्डर में लेकर आयुक्त सुनवाई कर रहे हैं.

सुनवाई से पहले होमवर्क
आयुक्त के कोर्ट मे बीस से तीस साल पुराने दाखिल-खारिज व बीएलडीआर आदि के मामले पेंडिंग चल रहे थे. जिस पर गंभीरता से फैसला लेने की जरूरत थी. आयुक्त ने ऐसे मामले के सुनवाई के पहले होम वर्क किया. हर पहलुओं के अध्ययन व समीक्षा के बाद केस का सार तैयार किया गया. लंबित मामलों को तीन श्रेणी में बांटा गया.
खारिज, स्वीकार व स्थिति स्पष्ट नहीं
केस के एडमिशन के समय ही गुण-दोष के आधार पर उसे खारिज व स्वीकार किया गया. ऐसे मामले, जिसमें विपक्षी पार्टी उपस्थित नहीं होती थी, उन्हें रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजा गया. केस में सुनवाई में उपस्थित होने का आखिरी मौका देते हुए उसे क्लोज कर दिया गया.
अब 45 दिन में हो रहा फैसला
आयुक्त के कोर्ट में अब जो मामले आ रहे है उसे केस दाखिल होने के 45 दिनों के अंदर सुनवाई कर फैसला दे दिया जाता है, जो मामले स्वीकार योग्य नहीं होते है उसे एडमिशन के वक्त ही खारिज कर दिया जाता है. आयुक्त कोर्ट में अधिकांश मामले राजस्व से जुड़े होते है. इसके अलावा आर्म्स, आपूर्ति और सर्विसेज केस होते हैं. सर्विसेज केस में फिलहाल तीन मामले ही लंबित चल रहे हैं.
इस तरह पेंडिग केस निबटे . कमिश्नर अतुल प्रसाद ने अक्तूबर 2014 में कार्यभार संभाला. उस समय प्रमंडल में 1400 केस सालों से पेंडिंग चल रहे थे. छह महीने से कोर्ट नहीं होने के कारण 450 आवेदन लंबित हो गये थे.

आयुक्त बताते हैं कि इतने बड़े पैमाने पर केस के लंबित रहना गंभीर स्थिति थी. परंपरागत कार्यप्रणाली से केस का निष्पादन करना असंभव दिख रहा था. केस की त्वरित सुनवाई के लिए साइंटिफिक तरीका अपनाया. लंबित केस का मास्टर लिस्ट तैयार किया गया. केस की प्रकृति ( विषय वार) डाटा बेस तैयार कर अद्यतन स्थिति की समीक्षा की गयी. एक दिन के कोर्ट में 60-70 मामलों को ऑर्डर में लेकर फैसला सुनाया. इस क्रम में कई बार स्पेशल कोर्ट भी आयोजित किया गया है. मामले के तेजी से निबटारे में वकीलों की ओर से भी काफी सहयोग मिला.

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