वर्तमान समय में संवेदना रहित हो गया है समाज

मुजफ्पफरपुर: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा एलएनटी कॉलेज में 21वीं सदीक मैथिली कथा उपन्यास में संवेदनाक विकास को लेकर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ. इसका उद्घाटन बीआरए बिहार विवि के कुलपति डॉ पी पंलाडे ने किया. उन्होंने कहा कि तकनीकी व शैक्षणिक के रूप में जो भी मदद होगी, वह विवि देगा. कॉलेज के वातावरण को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 25, 2016 9:37 AM
मुजफ्पफरपुर: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा एलएनटी कॉलेज में 21वीं सदीक मैथिली कथा उपन्यास में संवेदनाक विकास को लेकर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ. इसका उद्घाटन बीआरए बिहार विवि के कुलपति डॉ पी पंलाडे ने किया. उन्होंने कहा कि तकनीकी व शैक्षणिक के रूप में जो भी मदद होगी, वह विवि देगा. कॉलेज के वातावरण को देखकर खुशी जताई.
कहा कि नैक मूल्यांकन के लिए जो पैसा कॉलेज को मिलेगा उसे तो दिया ही जाएग, लेकिन उसके अलावा भी जो भी मदत की जरूरत होगी उसे विवि जरूर करेगा. बताया कि बीआरए बिहार विवि के अंगीभूत कॉलेजों ने नैक मूल्यांकन काे लेकर अपनी स्टेटस रिपोर्ट सौंप दी है, इसे देखकर राज्यपाल और शिक्षा मंत्री ने खुशी जाहिर की है. कहा कि रूसा से 20 करोड़ रुपये तो मिलेगा. साथ ही अन्य मदत विवि के जरिये दी जाएगी. अवध विवि प्राचार्य मैथिली विभाग एलएनएमयू दरंभगा विवि के डॉ भीमनाथ झा ने कहा कि आज समाज में जो भी घटनाएं घटित होती है. वह घटनाएं साहित्य संवेदना के माध्यम से समाज में आती है. संवेदना अंर्तमन को छूती है. और इसे साहित्यकार अपने साहित्य के माध्यम से समाज में लाने का काम करते है. कहा कि संवेदना समाज में होना चाहिए. लेकिन मौजूदा समय में समाज संवेदना रहित हो गया है. संवेदना अगर आएगी तो समाज में बुराईया दूर होगी. वर्तमान में साहित्यकारों को इस पर और ध्यान देने की जरूरत है.

विशिष्ट अतिथि अवध विवि प्राचार्य मैथिलि विभाग गिरिजा किशोर झा ने कहा कि मैथिली का विकास कम है. इसके लिए उन्होंने विद्वानों से आग्रह किया कि वे मैथिली पर अधिक से अधिक रचनाएं लिखे. साथ ही शोध करने वाले छात्रों से कहा कि वे केवल डिग्री ने ले, बल्कि उस पर शोध कर किताबें लिखे. बांग्ला साहित्य की तुलना करते हुए कहा कि जितनी रचनाएं बांग्ला में है, उतनी रचनाएं मैथिली में नहीं है. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कॉलेज के प्रचार्य डॉ आेम प्रकाश सिंह ने कहा कि सेमिनार में जब तक कुछ निकल कर न आएं, तब तक सेमिनार को कोई महत्व नहीं है. सेमिनार में बौद्धिक चर्चा की जरूरत है.

सेमिनार में डेलीगेट की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है. कार्यक्रम को डॉ अमरनाथ झा ने भी संबोधित किया. धन्यवाद ज्ञापन के दौरान विवि के मैथिली विभाग के अध्यक्ष डॉ राजन कुमार सिंह ने कहा कि मिथिला के विकास में ललित जी का योगदान अतुलनीय है. बताया कि विवि में मैथिली विभाग में 12 पद रिक्त है, इनमें विवि को केवल दो प्रतिभागी ही मिल सका. इसलिए मैथिली पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. कार्यक्रम में एलएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ उपेंद्र कुंवर, एमडीडीएम की प्राचार्या डॉ ममता रानी, डॉ संजय, एमएसकेबी की प्राचर्या डॉ निर्मला सिंह, राम प्रताप नीरज आदि मौजूद रहे.

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