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शिक्षा में तकनीक के इस्तेमाल में बिहार पीछे

मुजफ्फरपुर : तकनीकी युग के प्रभाव से उच्च शिक्षा अछूता नहीं है. शिक्षण कार्य को बेहतर बनाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे छात्रों की रुचि बनी रहे. बिहार के शिक्षण संस्थान इस मामले में अभी पीछे हैं. इस कारण छात्र दूसरे प्रदेशों में जाकर उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 31, 2016 9:16 AM
मुजफ्फरपुर : तकनीकी युग के प्रभाव से उच्च शिक्षा अछूता नहीं है. शिक्षण कार्य को बेहतर बनाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे छात्रों की रुचि बनी रहे. बिहार के शिक्षण संस्थान इस मामले में अभी पीछे हैं. इस कारण छात्र दूसरे प्रदेशों में जाकर उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. ये बातें सोमवार को एलएस कॉलेज में मनोविज्ञान विभाग की ओर से ‘उच्च शिक्षा में शिक्षण सीखने की विधि’ पर आयोजित सेमिनार में उभरकर सामने आयी. वक्ताओं ने इस बार पर जोर दिया कि शिक्षकगण अपनी तकनीकी जानकारी बढ़ाकर छात्रों को वर्ग के प्रति आकर्षित करें.

सेमिनार के मुख्य वक्ता न्यूऐपा, नयी दिल्ली के उच्च एवं व्यावसायिक शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ हिमांशु भूषण ने कहा कि चाक व टॉक की उपयोगिता कम होते जा रही है. खासकर उच्च शिक्षण विधि में शिक्षक मुख्य रूप से तकनीकी सहायता से शिक्षा को सुसाध्य व सरल बनाने में जुटे हैं. कहा कि बिहार में इसकी कमी देखी जा रही है, जिससे छात्र दूसरे प्रदेशों में शिक्षा के प्रति आकर्षित हो रहे हैं. उन्होंने एलएस कॉलेज परिवार से आग्रह किया कि इस आंदोलन का नेतृत्व लें. अपनी तकनीकी जानकारी बढ़ाकर छात्रों को वर्ग के प्रति आकर्षित करें, ताकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में बिहार भी अग्रणी भूमिका निभा सके.

इससे पूर्व सेमिनार का उद्घाटन प्राचार्य डॉ उपेंद्र कुंवर ने किया. कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उच्च शिक्षा विधि में तकनीकी का असर दिख रहा है. इस मूलमंत्र को आत्मसात करते हुए मनोविज्ञान विभाग को इस आयोजन की जिम्मेदारी दी गयी है. कहा, शैक्षणिक व्यवस्था काे सुदृढ़ करने में तकनीकी का उपयोग कहां तक कारगर है, इस पर मूल रूप से शिक्षणगण को भी सोचना होगा. शैक्षणिक गुणवत्ता के विकास पर ध्यान देने का वक्त है. अतिथियों व छात्रों का स्वागत करते हुए मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष व आयोजन सचिव डॉ एनएन मिश्र वर्तमान शैक्षणिक विधि में छात्र वर्ग के प्रति उदासीन हो रहे हैं. इस मूल कारण को ढूंढ़ना हम शिक्षकों का मूल धर्म बन गया है.

मनोविज्ञान विभाग के डॉ एसके सिंह ने निबंधित प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र दिया. इस कार्यक्रम में डाॅ नित्यानंद शर्मा, डॉ ब्रजनंदन प्रसाद सिंह, डॉ प्रवीण कुमार, डॉ अरुण कुमार, डॉ विजय कुमार, डॉ गजेंद्र कुमार व डॉ ब्रजेश झा सहित कॉलेज के सभी शिक्षक मौजूद थे.

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