प्रकृति की चुनौती नहीं, बनावटी है जलसंकट : राजेंद्र सिंह
मुजफ्फरपुर : मैग्सेसे पुरस्कार विजेता वाटर मैन राजेंद्र सिंह कहा कि जलसंकट प्रकृति का चैलेंज नहीं है, यह बनावटी है. जल, जंगल व जमीन के कारोबारियों ने यह संकट दुनिया के समक्ष खड़ा कर दिया है. जब देश आजाद हुआ था तो सिर्फ 132 गांव में पानी का संकट था. आज यह संख्या बढ़कर 2.65 […]
श्री सिंह संयुक्त भवन स्थित प्रेस क्लब सभागार में सोमवार को जल-जन जोड़ों अभियान के तहत आयोजित संवाद गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, बिहार जैसे पानीदार प्रदेश जल संकट की चपेट की है. कारण है कि जलसंकट के लिए जो भी योजनाएं बन रही हैं, वे ठेकेदार व इंजीनियर बना रहे हैं. इसमें कोई जनभागीदारी नहीं है. अगर समुदाय को इस संकट के निदान तलाशने के कार्यों से जोड़ दिया जाये, तो यह अपने आप आसान हो जायेगा. राजस्थान जैसे रेगिस्तान में इसी प्रयोग से रेतीले जमीन को हरा-भरा बनाया गया. यह प्रयोग पूरे देश में किया जा सकता है. इसके लिए जल संरक्षण कानून बनाने की जरूरत है. बिहार सरकार को यह कानून बनाने के लिए यहां के लोगों को आंदोलन करने की जरूरत है.
इससे बचने की जरूरत है. कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वतंत्रता सेनानी राम संजीवन ठाकुर ने की. जल-जन जोड़ो अभियान के संयोजक रमेश सिंह ने विस्तार से जलसंकट निदान के उपायों की जानकारी दी. सामाजिक कार्यकर्ता रमेश पंकज ने विषय प्रवेश कराया. स्वागत ध्वजा प्रसाद फाउंडेशन के सचिव संजीव कुमार साहू ने किया. धन्यवाद ज्ञापन पर्यावरण कार्यकर्ता सुरेश प्रसाद गुप्ता, संचालन लिच्छवी फाउंडेशन के संयोजक प्रभात कुमार ने किया. इस मौके पर तपेश्वर भाई, प्रो आरपी यादव, पूर्व उप मेयर विवेक कुमार, अधिवक्ता संगीता शाही, वंदना शर्मा ने संबोधित किया.