माहे रमजान: बरकत व फजीलतों की अहमियत का महीना
मुजफ्फरपुर : पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि माहे रमजान बहुत ही बा बरकत और फजीलतों अहमियत वाला महीना है. और यह सबर ओ शुक्र इबादत का महीना है. इस माहे मोबारक की इबादत का शबाब 70 दर्जा अता होता है. जो कोई अपने परवर दीगार की इबादत करके उसकी खुशनुदी […]
मुजफ्फरपुर : पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि माहे रमजान बहुत ही बा बरकत और फजीलतों अहमियत वाला महीना है. और यह सबर ओ शुक्र इबादत का महीना है. इस माहे मोबारक की इबादत का शबाब 70 दर्जा अता होता है. जो कोई अपने परवर दीगार की इबादत करके उसकी खुशनुदी ओ रजा हासिल करेगा. उसकी बहुत बड़ी जजा (बदला) खुदा बंदे ताला अता फरमायेगा.
नीरपुर के मोलाना मो हामिद रजा रफाकशी बताते हैं कि पहली शबे कद्र हुजूर ए अनवर सल्लाहो अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि मेरी उम्मत में से जो मर्द या औरत ये ख्वाहिश करें कि उसकी कब्र नूर की रौशनी से मनौव्वर हो, तो उसे चाहिए कि माहे रमजान की शबे कद्रों में कसरत के साथ इबादतें इलाही बजालाए ताकि इन मोबारक और मोतबरक रातों की इबादत से अल्लाह पाक उसके नामय आमाल से बुराइयां मिटाकर नेकियों का सवाब अता फरमाये.
शबे कद्र की इबादत 70 हजार, शबे (रात) की इबादतों से अफजल है. इक्कीस रमजान की शव को चार रकत नमाज दो सलाम से पढ़े, हर रकत में वादे सुरै फातेहा के सुरै कद्र एक-एक बार सुरै इखलास एक-एक मरतबा पढ़े, सलाम फेरने के बाद 70 मरतबा दोरूदे पाक पढ़े.
इंसा अल्लाह ताला इस नमाज के पढ़ने वाले के हक में फरिश्ते दोआए मगफिरत करेंगे. 21 वीं शव को दो रकत नमाज पढ़े. हर रकत में सुरै फातेहा के बाद सुरै कद्र एक-एक बार सुरै इखलास तीन-तीन मरतबा पढ़नी है. वादे सलाम नमाज खत्म करके 70 मरतबा तौबा अस्तग पार पढ़े. इंसा अल्लाह इस नमाज और शबे कद्र की बरकत से अल्लाह पाक उसकी बख्शिस फरमायेगा.